देहरादून।
उत्तराखंड के बहुचर्चित कार्बेट टाइगर रिजर्व घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है। टाइगर सफारी के नाम पर 6000 से अधिक पेड़ों के अवैध कटान और नियमविरुद्ध निर्माण कार्यों के मामले में सीबीआई ने पांच वन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति शासन से मांगी है। इससे वन विभाग में हड़कंप मच गया है।
यह मामला वर्ष 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद सामने आया था। इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की जांच में भारी अनियमितताएं उजागर हुईं। खास तौर पर पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन भूमि पर बिना स्वीकृति टाइगर सफारी का निर्माण और 6000 से अधिक पेड़ों का अवैध कटान सामने आया।
पहले विजिलेंस, अब सीबीआई और ईडी की जांच
मामले की शुरुआत विजिलेंस जांच से हुई थी, जिसके तहत तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा को निलंबित कर गिरफ्तार किया गया। बाद में हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई को जांच सौंपी गई, जिसने अक्टूबर 2023 में केस दर्ज किया। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी दिसंबर 2023 से अपनी जांच शुरू की।
ईडी ने फरवरी 2024 में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत, उनके परिजनों और करीबी अधिकारियों के 17 ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, काशीपुर और श्रीनगर जैसे स्थान शामिल रहे। ईडी ने इस कार्रवाई में 1.10 करोड़ रुपये नकद, 1.3 किलो सोना, 10 लाख रुपये विदेशी मुद्रा और कई डिजिटल उपकरण बरामद किए।
100 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त
ईडी ने पूर्व डीएफओ किशन चंद की 31.8 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की, जिसमें रुड़की में स्कूल, स्टोन क्रशर और अन्य अचल संपत्तियां शामिल हैं। वहीं जनवरी 2025 में हरक सिंह रावत के बेटे के शिक्षण संस्थान “दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज” की 101 बीघा भूमि को 70 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के रूप में अटैच किया गया।
कौन-कौन हैं जांच के घेरे में?
इस पूरे मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। इनमें तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग (अब दिवंगत), मुख्य वन संरक्षक सुशांत पटनायक, कार्बेट निदेशक राहुल, डीएफओ अखिलेश तिवारी, किशन चंद, रेंजर मथुरा सिंह, बृज बिहारी शर्मा और एलआर नाग शामिल हैं। अब सीबीआई ने इनमें से पांच अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर ली है।
उच्च न्यायालयों की भी रही है निगरानी
यह मामला न केवल दिल्ली हाईकोर्ट, बल्कि सुप्रीम कोर्ट और उत्तराखंड हाईकोर्ट की भी निगरानी में रहा है। उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर ही सीबीआई को यह जांच सौंपी गई थी। याचिका देहरादून निवासी अनु पंत ने दायर की थी, जिसकी पैरवी अधिवक्ता अभिजय नेगी कर रहे हैं।
आगे क्या?
अब सभी की निगाहें सीबीआई की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या अब तक बचे रहे अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी या कुछ नाम फिर से बचा लिए जाएंगे? इस पर पूरे प्रदेश की नजर है।
कार्बेट टाइगर रिजर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इतने बड़े स्तर पर घोटाला होना न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है।