जगदंबा कोठारी
‘नाच ना जाने आंगन टेढ़ा’ यह कहावत आपने अक्सर आम बोलचाल में सुनी होगी लेकिन अब यही कहावत प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र रावत पर सटीक बैठ रही है। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को लेकर आज सीएम ने एक विवादास्पद बयान दिया है। उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के लिए सीएम ने प्रवासियों का उत्तराखंड लौटना बताया है।
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आज हल्द्वानी में कोरोना समीक्षा की बैठक आयोजित करते हुए सीएम ने बयान दिया है कि प्रदेश में दूसरे राज्यों से प्रवासियों के लौटना बढ़ते कोरोना मरीजों का कारण है। अब प्रदेश सरकार की नाकामियों का ठीकरा सीएम रावत ने अन्य राज्यों से लौटे प्रवासियों के सिर फोड़ दिया है।
अब संकट के इस समय प्रवासी उत्तराखंडी अपने घर नहीं लौट आएंगे तो कहां जाएंगे और प्रदेश से बाहर फंसे लोगों को सीएम त्रिवेंद्र रावत समय रहते उत्तराखंड पहुंचा देते शायद अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या अब तक सामान्य हो गई होती। किंतु लॉक डाउन के दो माह बाद प्रदेश सरकार ने बाहर फंसे लोगों को घर वापसी की तैयारी की है। जिससे कि संक्रमण बड़ी संख्या में बढ़ गया है।
आलम यह है कि यह संख्या 350 पहुंचने के लिए चंद कदम ही दूर है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी प्रवासियों को बॉर्डर पर ही क्वॉरेंटाइन करने के लिए सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अभी तक लगभग डेढ़ लाख के करीब बाहरी प्रदेश के प्रवासी उत्तराखंड पहुंच चुके हैं और यह संख्या लगभग 5 लाख के करीब पहुंचने के आसार हैं और हजारों उत्तराखंडी अभी विदेशों में फंसे हैं।
ऐसे में कितने कोरोना संक्रमित प्रदेश में घुस आएंगे इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। यदि सरकार समय रहते सभी प्रवासियों को प्रदेश पहुंचा लेती तो शायद प्रदेश में कोरोना की स्थिति अब तक सामान्य हो चुकी होती।
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल वनवासी कहते हैं,-“पहले तो लोग केवल सरकार से अनुमति चाहते थे ,अपने पैसों से सब को घर लाना चाहते थे ,जब सरकार ने लाना शुरू किया ,तो बड़े बड़े दावे करने वाले भी कोरंनटाइन हो गये।”
प्रदेश में अभी तक मात्र 4 कोरोना टेस्टिंग लैब हैं और प्रवासियों का लौटने का सिलसिला जारी है। ऐसे में पूरे प्रदेश को केवल चार टेस्टिंग लैब के भरोसे छोड़ा गया है जिनमें विशेषज्ञ 24 घंटे लगातार ड्यूटी करके सैंपल जांच में लगे हैं। हालांकि सीएम ने कहा है कि अल्मोड़ा में भी जल्द टेस्टिंग लैब के लिए अनुमति मांगी गई है।