अविकल थपलियाल
कोरोना महामारी में मनमानी व चूक
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दून हॉस्पिटल से कोरोना पॉजिटिव लड़की डिस्चार्ज , कोरोनेशन भर्ती, मचा हंगामा
हड़कंप के बाद कोरोना मरीज को छात्रावास में किया शिफ्ट
कोरोनेशन स्टाफ भी रिस्क में
दून हॉस्पिटल में बीमार भाई की देखभाल करते हुए बहन हुई कोरोना पॉजिटिव
लड़की का लकवाग्रस्त भाई कोरोनेशन के सामान्य वार्ड में
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दून अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीज को डिस्चार्ज करने सम्बन्धी गंभीर चूक का बेहद सनसनीखेज व गजब मामला सामने आ रहा है। राजधानी के दून अस्पताल में भर्ती मरीज को कोरोना पॉजिटिव प्रमाणपत्र के साथ डिस्चार्ज कर कोरोनेशन हॉस्पिटल भेज दिया गया। यह मामला 8 जून का है।
दून हॉस्पिटल में अपने लकवाग्रस्त भाई की देखरेख करते हुए बहन 3 जून को कोविड पॉजिटिव पाई गई थी। जबकि भाई की रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी।
इधर, कोरोनेशन अस्पताल में कोविड पॉजिटिव मरीज के पहुंचने के बाद मचे हड़कंप के बाद मंगलवार को लड़की को तत्काल तीलू रौतेली छात्रवास शिफ्ट कर दिया गया। उक्त कोरोना पॉजिटिव लड़की 8 जून की सांय 7बजे से 9 जून दोपहर 3 बजे तक कोरोनेशन अस्पताल में रही। जबकि दून अस्पताल के 8 जून के आदेश में कोरोना पॉजिटिव उक्त लड़की समेत 4 मरीजों को होम क्वारंटाइन के लिए कहा गया। इसके बावजूद बीमार भाई के साथ अटेंडेंट के तौर पर कोरोनेशन भेज दिया गया। कोरोनेशन में वो लड़की कैंटीन भी गयी और स्टाफ के भी सम्पर्क में आयी।
हंगामे के बाद कोविड मरीज बहन को तीलू रौतेली छात्रावास भेजने के बाद अब कोविड संदिग्ध भाई कोरोनेशन के सामान्य वार्ड में भर्ती है। भाई की देखभाल कौन करेगा यह सवाल उठ रहा है।
गौरतलब है कि दून अस्पताल में बीमार भाई की देखभाल कर रही बहन 3 जून को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। इस दौरान वह हॉस्पिटल में कई लोगों के भी सम्पर्क में आयी होगी। जितने भी डॉक्टर और नर्स ने बीमार भाई को देखा, उनका भी कोरोना टेस्ट जरूरी हो गया है।
आश्चर्य की बात है कि किसी दूसरे अस्पताल भेजने से पहले दून मेडिकल कालेज बहन की नेगेटिव रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था। लेकिन इस मामले में ऐसा नही हुआ।
गौरतलब है कि चमोली जिले का 18 साल का लड़का 2 नवंबर को छत से गिर गया था। चोट लगने से लड़के को लकवा हो गया। एम्स, ऋषिकेश में कमर के घाव की प्लास्टिक सर्जरी के बाद दोनो भाई-बहन वापस चमोली लौट गए। ईलाज के लिए बाद में फिर एम्स आना पड़ा लेकिन लॉकडौन के कारण एम्स में भर्ती नहीं हो पाए। दोनो भाई -बहन ऋषिकेश में ही कमरा लेकर रहने लगे। 28 मई को बहन अपने लकवाग्रस्त भाई को लेकर दून मेडिकल कालेज आयी। भाई को बुखार की शिकायत थी। भाई-बहन दोनों का टेस्ट हुआ। 3 जून को बहन कोविड पॉजिटिव निकली जबकि भाई नेगेटिव। बहन को एडमिट कर लिया गया। बेहद नाटकीय घटनाक्रम के तहत 8 जून को कोविड पॉजिटिव बहन को डिस्चार्ज कर कोरोनेशन अस्पताल भेज दिया गया। दून मेडिकल कालेज के इस फैसले के बाद कोरोनेशन के स्टाफ और मरीज दहशत देखी
जा रही है।
पहले कोविड पॉजिटिव बहन के साथ भाई को रखकर एक नया खतरा मोल लिया गया। और अब पूरे कोरोनेशन अस्पताल को ही रिस्क में डाल दिया गया। इस पूरे मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग में हलचल बनी हुई है। महामारी में मनमानी व चूक के इस मामले में जिम्मेदारी की बाल एक दूसरे के कोर्ट में डालने की कोशिशें भी शुरू हो गयी है ताकि सच पर पर्दा ही पड़ा रहे।
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सवाल ये भी हैं?
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-जब लड़की 3 जून को कोरोना पॉजिटिव पायी गयी तो अस्पताल प्रबन्धन ने उसको लकवाग्रस्त भाई से अलग आइसोलेशन वार्ड में क्यों नही रखा। बहन अपने भाई की देख रेख पहले की तरह ही करती रही। अस्पताल प्रबन्धन किस तरह का यह मानवीय चेहरा दिखा रहा था। गंभीर बीमार भाई की पहली रिपोर्ट ही नेगेटिव आयी है। अभी और सैंपल लेने की जरूरत है। लेकिन उस दौरान कोविड पॉजिटिव लड़की भी स्टाफ व कैंटीन सदस्यों के सम्पर्क में आयी होगी? यह भी जांच का विषय है।
-जब बहन कोरोना पॉजिटिव पाई गई तो बिस्तर पर पड़े युवा लाचार भाई की देख रेख के लिए वार्ड बॉय की व्यवस्था क्यों नही की गई? 8 जून तक बहन के जिम्मे ही भाई की देख रेख चलती रही। जबकि इस मद में केंद्र पर्याप्त धनराशि दे रहा है।
-कोरोनेशन अस्पताल नॉन कोविड सरकारी अस्पताल है। इस अस्पताल में कोविड पॉजिटिव को शिफ्ट क्यों किया गया। जबकि दून अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड है।
– अब शोर मचने के बाद कोविड पॉजिटिव लड़की को एक छात्रावास में शिफ्ट कर दिया गया। क्या यह एक और गंभीर चूक नही है। हॉस्टल में कोरोना पॉजिटिव लड़की की सही देख रेख हो सकेगी। जबकि डिस्चार्ज प्रमाणपत्र में साफ साफ कोविड पॉजिटिव लिखा है।