नैनीताल के बाद अब टिहरी और देहरादून रेड ज़ोन की ओर अग्रसर ;
कोरोना आंकड़ा 1043, ठीक हुए 252 व 7 की मौत !
– भूपत सिंह बिष्ट
रेड ज़ोन के नये मापदंड के हिसाब से नैनीताल के बाद टिहरी और देहरादून प्रति लाख सक्रिय संक्रमण 15 के करीब आ रहे हैं जबकि देहरादून पहले ही कुल संक्रमण में दो सौ से अधिक का आंकड़ा पार कर गया है।
पांचवे लाकडाउन के शुरु में कोरोना मामले 1जून को 127 बढ़कर 929 हो गया है। प्राइवेट लैब ने दो दिनों में 90 टेस्ट किए हैं और 36 केस पोजिटिव हैं। कुल 58 पोजिटिव मामलों में 56 देहरादून जनपद के और 2 नैनीताल जनपद के बताये गए हैं।
हरिद्वार सैंपल को टेस्ट करने में अजीब सा ठहराव आ गया है। हरिद्वार सैंपल वेटिंग में अब 2961 व टिहरी के 1346 बचे हैं।
8 जून से चारधाम या प्रदेश में आवागमन और खुला होने जा रहा है। आफिस पूरे समय के लिए शुरु हो चुके हैं। अब हमें भी अपनी ज़िंदगी को लय में लाना है – 65 साल से अधिक के बुजुर्ग व 10 साल से छोटे बच्चे विशेष देखभाल में रखने हैं।
उत्तराखंड का कोरोना शिखर की ओर बढ़ रहा है — स्वाभाविक कारण है कि अधिक टेस्ट करने से हमें आसपास कोरोना संक्रमित का पता चल रहा है और प्रशासन कोरोना मरीज को इलाज के लिए और संपर्क में आये लोगों को सावधानी व सुरक्षा के लिए क्वारंटीन करता है।
लाक डाउन के पहले चार चरण 68 दिन में 31 मई को समाप्त हुए और इस अवधि में शायद ही कोई हो जिसे अब कोरोना, आइशोलेशन व क्वारंटीन, रात का कर्फ्यू, ई – पास की जानकारी न हो।
लाकडाउन का पांचवा चरण विगत 1 जून से 30 जून तक चलेगा और इसे अनलाक -1 का नाम भी दिया गया है कि ज़िंदगी फिर से आर्थिक गतिविधियों, उमंग व सक्रियता में लौट आये। अब सरकार लंबे समय तक तालाबंदी कर के अपने राजस्व को सुखाना नहीं चाहेगी। सरकार के हास्पीटल व क्वारंटीन सेंटर के हाल भी छुपे हुए नहीं है। हापुड़ से ऋषिकेश एम्स में कोरोना इलाज के लिए एक पीड़ित के आने की खबर है।
देहरादून के वीआईपी भी दून हास्पीटल मेडिकल कालेज की जगह एम्स ऋषिकेश की शरण ले रहे हैं। ऐसे में अपने परिवार के लिए हमें कोरोना से बचने के उपाय करना अनिवार्य है – निसंदेह मास्क पहनना, भीड़ में देह दूरी,
साबुन से अपनी साफ सफाई , सार्वजनिक स्थलों पर थूकने , गंदगी फैलाने से परहेज जैसी आदत हम सब के लिए लाभकारी हैं।
पिछले चार चरण में कोरोना के प्रभाव को समझने के लिए हेल्थ एवं परिवार कल्याण विभाग की निरंतर प्रसारित बुलेटिन का पिछली एक मई से आंकलन इस प्रकार है।
एक मई को उत्तराखंड में कोरोना के कुल मामले 57 थे और रोजाना 5 मई तक टेस्ट परिणाम की औसत लगभग 245 रही है। 6 मई को कोरोना मरीज 61 व 10 मई को 68 हो गए। इस अवधि में कोरोना टेस्ट की औसत 344 प्रतिदिन रही है।
11 मई से 20 मई के बीच सरकार ने रोजाना लगभग 395 टेस्ट किए और 20 मई को 16 कोरोना केस बढ़कर 120 हो गए तथा दस दिन की औसत वृद्धि 3 प्रतिदिन रही है।
लाकडाउन का चौथा चरण शुरु हो चुका था। इस अवधि में प्राइवेट लैब ने 41 टेस्ट प्रतिदिन की औसत से 823 टेस्ट किए और एक भी पोजिटिल केस नहीं मिला।
21 मई को कोरोना के मामले 12 बढ़कर 132 हो गए।
अगले पांच दिन में कोरोना के 200 मामले बढ़कर 332 हो गए। बेलगाम होते कोरोना संक्रमण के लिए 25 मई तक रोजाना 885 की दर से टेस्ट परिणाम निकाले गए लेकिन टेस्ट परिणाम के लिए नए सैंपल 1612 से बढ़कर 3522 हो गए। रिपीट सैंपल की वेटिंग 918 से बढ़कर 952 हो गई।
21 मई से 25 मई तक सैंपल टेस्ट वेटिंग औसतन लगभग 2501 हो गई। जबकि परिणाम देने की क्षमता 885 प्रतिदिन रही है।
26 मई को कोरोना आंकड़ा बढ़कर 400 हो गया और चौथे चरण के लाकडाउन समाप्ति पर यह दोगुना होकर 802 हो चुका था।
निसंदेह 31 मई तक बरपा कोरोना कहर लाकडाउन को फेल साबित कर गया। सैंपल वेटिंग 3530 से बढ़कर 6133 हो गई , जो कि कोरोना युद्ध के दौरान चिंताजनक विषय है। लेकिन इस अवधि में हमारे टेस्ट रिजल्ट की दर औसतन 910 प्रतिदिन पर बनी रही है।
प्राइवेट लैब ने 21 मई से 31 मई के बीच कुल 691 टेस्ट किए और इस में 22 केस पोजिटिव आये हैं। इस अवधि में कोरोना का आंकड़ा 6 गुना 132 से बढ़कर 802 और उससे बढकर 1043 हो गए हैं। टेस्ट रिजल्ट की रफ्तार औसतन 843 है। सैंपल वेटिंग बढ़कर 6863 हो चुकी है।