पौड़ी। प्रभारी चिकित्साधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, खिर्सू, पौड़ी गढ़वाल, डा. गम्भीर सिंह तालियान के द्वारा राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, खण्डाह, पौड़ी गढ़वाल के प्रभारी चिकित्साधिकारी, डॉ. शैलेंद्र पाण्डेय के उत्पीड़न का मामला सामने आया है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डी०सी० पसबोला द्वारा यह जानकारी देते हुए बताया गया कि इस सम्बन्ध में डॉ० शैलेंद्र पाण्डेय द्वारा लिखित में जिला संघ, पौड़ी गढ़वाल से शिकायत की गयी है।
डॉ० शैलेंद्र पाण्डेय द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा 31-03-2020 से कोविड 19 की टीम 6 के साथ एवं निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं, उत्तराखण्ड के पत्र के क्रम में पौड़ी जिले के कोविड-19 के मास्टर ट्रेनर (अपने जिले समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने हेतु) के रूप में, और अपने चिकित्सालय में ओपीडी (फार्मासिस्ट न होने के कारण) तीनों जगह अपने दायित्व का यथासम्भव निर्वहन करने करने का प्रयास किया गया। हालांकि बीच-2 में उन्हें डा० तालियान द्वारा दूरभाष पर अभद्रता एवं मानसिक उत्पीड़न भी झेलना पड़ा।
इसके बावजूद भी वे पूर्ण मनोयोग से अपना कार्य करते रहे, लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी डॉ० तालियान द्वारा 25-04-2020 को द्वेष एवं दुर्भावनावश उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिससे कि उनका इस महामारी काल के होते हुए भी मानसिक उत्पीड़न हो रहा है।
जिला संघ, पौड़ी गढ़वाल द्वारा प्रान्तीय संघ के संज्ञान में लाया गया है कि कोरोना महामारी में सभी विभाग आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए देश हित में जनमानस के लिए कार्य कर रहे हैं, पर डॉ० गंभीर सिंह तालीयान द्वारा अपने समकक्ष आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी को आयुष ट्रेनिंग लेकर भी तुम लोग क्या कर लोगे?” कहा जाना उनकी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के सामने आयुष चिकित्सा पद्धतियों को तुच्छ समझकर अभद्रता दिखाने जैसा और प्राचीन आयुष चिकित्सा पद्धतियों का मजाक उड़ाकर अपमान करने जैसा है और साथ ही आपत्तिजनक भी है, जो कि हर आयुष चिकित्सक का मनोबल गिराने वाला वक्तव्य है। उनका यह कथन केन्द्रीय आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों को ट्रेनिंग दिए जाने के निर्णय पर भी प्रश्नचिह्न लगाने वाला प्रतीत होता है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड उनके उनके इस वक्तव्य की कठोर एवं घोर निंदा करता है। प्रदेश के सभी आयुष चिकित्साधिकारी पूर्ण निष्ठा एवं लगन से अपना प्रथम एवं परम कर्तव्य समझकर कोशिश 19 के महासंकट में पूर्ण उत्साह से सहयोग कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अपने समकक्ष आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के प्रति इस प्रकार की अवमानना एवं तिरस्कारपूर्ण व्यवहार अनुचित एवं अव्यावहारिक है।
इसी के संदर्भ में यह भी संज्ञान में आया है कि उनके द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एवं आयुर्वेद विभाग के उच्चाधिकारियों के प्रति भी आपत्तिजनक एवं अशोभनीय टिप्पणी की गयी है (जिसके साक्ष्य पीड़ित आयुर्वेद चिकित्साधिकारी के पास सुरक्षित हैं), संभवत: उनकी यह टिप्पणी उनके एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान के दम्भ को या फिर देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति के प्रति उनके अत्यल्प एवं मिथ्या ज्ञान को इंगित करती है तथा साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा कोशिश 19 महामारी में आयुर्वेद के महत्व को प्रतिपादित करने वाली ‘मन की बात’ के विरुद्ध प्रतीत होती है। एक जिम्मेदार पद पर आसीन राजकीय अधिकारी द्वारा इस तरह का वार्तालाप करना आपत्तिजनक एवं अशोभनीय है।
इस सम्बन्ध में एक कठोर पत्र राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ० के०एस० नपलच्याल एवं प्रांतीय महासचिव डॉ० हरदेव रावत के द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल को लिखा गया है, जिससे कि उपरोक्त तथ्यों के संदर्भ उनका ध्यान आकृष्ट किया जा सके। साथ इस पत्र की प्रति आयुष मंत्री, आयुष सचिव, डीजी हेल्थ, निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं उत्तराखण्ड, अध्यक्ष, प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल एवं सम्बन्धित चिकित्सा अधिकारी डॉ० तालियान को भी भेजी गयी है।