देहरादून| क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के तीन वर्ष का समय पूरा होने के बाद अब चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है।
6 पदों के लिए कई लोग अपनी दावेदारी करने को तैयार हैं। लेकिन क्या इस बार सीएयू की एपेक्स बॉडी में पहाड़ को प्रतिनिधित्व मिलेगा यह सवाल भी उठने लगा है।
अगस्त 2019 में बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद सीएयू की एपेक्स बॉडी के पदाधिकारियों के पहले कार्यकाल का समय पूरा हो चुका है। चुनाव कराने की मांग भी उठने लगी है।
सूत्रों की मानें तो सीएयू जनवरी महीने में चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। इससे चुनावी सरगर्मी भी बढ़ने लगी है। इस बार चुनाव में पहाड़ी जिलों के भी कई पदाधिकारी अपनी दावेदारी ठोकने की तैयारी कर रहे हैं ,लेकिन क्या सीएयू के कर्ताधर्ता इस बार एपेक्स बॉडी में पहाड़ को प्रतिनिधित्व देंगे यह बड़ा सवाल बना हुआ है। गत चुनाव में सीएयू में एक ही जिले को प्रतिनिधित्व देने तथा पहाड़ी जिलों की उपेक्षा करने का आरोप लगा था|
दरअसल 2019 में बनी सीएयू की पहली कार्यकारिणी में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष देहरादून जिले के ही बनाये गए थे। एकमात्र काउन्सलर पद पर नैनीताल जिले से दीपक महरा आये थे। जबकि शेष पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, चमोली का कोई भी प्रतिनिधत्व एपेक्स बॉडी में नहीं था। इस कारण कई पदाधिकारी नाराज भी रहे। साथ ही कार्यकारिणी में सवाल भी उठ रहे थे|
अब एक बार फिर से सीएयू के चुनाव की सुगबुगाहट के बीच पहाड़ी जिलों को एपेक्स में प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग भी जोर शोर से उठ रही है। जबकि सीएयू के मजबूत आधार स्तंभ और मुश्किल समय में सीएयू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे पहाड़ी जिलों मे से किसे सीएयू अब किस पद पर चुनाव लड़ाती है यह भी देखना होगा।
फिलहाल जिलों में क्रिकेट के लिए समर्पित पदाधिकारी सीएयू की एपेक्स बाडी में आने के लिए लामबंद हो रहे हैं| देखना दिलचस्प होगा कि सीएयू में पहाड़ी जिलों को प्रतिनिधित्व मिलता है अथवा नहीं|