- रामनगर अस्पताल में युवक के शव को ई-रिक्शा में ले जाने की घटना पर हंगामा, स्वास्थ्य सचिव ने की सख्त कार्रवाई की घोषणा
देहरादून/रामनगर। उत्तराखंड के रामनगर उप-जिला चिकित्सालय से एक बेहद संवेदनशील और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक के पार्थिव शरीर को अस्पताल से मोर्चरी तक ई-रिक्शा में ले जाया गया। इस अमानवीय घटना ने स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर गहरी नाराजगी को जन्म दिया है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सख्त रुख अपनाते हुए इसे “अत्यंत निंदनीय और अमानवीय लापरवाही” करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “इस तरह की अमानवीय लापरवाही को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति गठित
स्वास्थ्य सचिव ने तत्काल प्रभाव से तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता उत्तराखंड की चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक करेंगी। इसके अतिरिक्त समिति में निदेशक प्रशासन और निदेशक स्वास्थ्य (कुमाऊं मंडल) को भी शामिल किया गया है। यह समिति 30 मई 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
स्थानीय अधिकारियों से जवाब-तलब
स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) और रामनगर उप-जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से भी जवाब मांगा है। उन्हें 26 मई तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
विशेष रूप से यह जांच की जाएगी कि शव वाहन की अनुपलब्धता के पीछे क्या कारण था और किस स्तर पर लापरवाही हुई।
दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
डॉ. कुमार ने कहा, “जो भी इस शर्मनाक लापरवाही का दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने सभी जिलों के CMO को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि अस्पतालों में शव वाहन की व्यवस्था दुरुस्त हो और इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों।
गरिमा से जुड़ा मामला
स्वास्थ्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि, “हमारी जिम्मेदारी केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि मृत्यु के बाद भी हर नागरिक को गरिमा के साथ सेवा देना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।”