भ्रष्टाचार: अब इस IFS ने कर दिया कॉर्बेट 2 घोटाला।  CBI और ED से जांच की सिफारिश 

उत्तराखंड वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। मुनस्यारी के आरक्षित वन क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए ईको हट्स में व्यापक वित्तीय अनियमितता, टेंडर प्रक्रिया की अनदेखी और निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं। इस मामले में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय कुमार भार्गव फंस गए हैं।

शासन ने 15 दिन में मांगा जवाब, नहीं देने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई तय

उत्तराखंड शासन ने 18 जुलाई 2025 को एक शासनादेश जारी कर डॉ. भार्गव को 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने का अंतिम मौका दिया है। उन्हें चेतावनी दी गई है कि समय पर उत्तर नहीं देने की स्थिति में विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

क्या है ईको हट्स घोटाला?

बिना अनुमति निर्माण कार्य

वर्ष 2019 में मुनस्यारी रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र में बिना पूर्व स्वीकृति के 10 VIP ईको हट्स, डॉरमेट्री, वन उत्पाद विक्रय केंद्र और ग्रोथ सेंटर का निर्माण कराया गया। यह कार्य वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा 2 का उल्लंघन है, जिसके तहत केंद्र सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।

बिना टेंडर करोड़ों की सामग्री खरीद

निर्माण कार्य के लिए सार्वजनिक टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। एक निजी संस्था को सीधे ठेका देकर करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया। यह सरकार की पारदर्शिता नीति का सीधा उल्लंघन है।

अवैध MOU के तहत 70% राजस्व का हस्तांतरण

EDC पातलथौड़, मुनस्यारी के साथ एक विवादास्पद MOU साइन किया गया जिसके तहत ईको हट्स से प्राप्त आय का 70% हिस्सा निजी संस्था को दे दिया गया। सूत्रों के मुताबिक यह संस्था एक विधायक से जुड़ी बताई जा रही है।

फायरलाइन घोटाला

वर्क प्लान में केवल 14.6 किमी फायरलाइन दर्ज थी, जबकि दस्तावेजों में 90 किमी दर्शाया गया और 2 लाख रुपये खर्च दिखाए गए। यह वित्तीय फर्जीवाड़ा माना जा रहा है।

प्रमुख तथ्य:

  • ईको हट्स निर्माण में खर्च: ₹1.63 करोड़
  • 70% पर्यटन आय निजी संस्था को हस्तांतरित
  • सभी मापन पुस्तिकाएं एक ही दिन में भरी गईं
  • शासन की अनुमति के बिना MOU और भुगतान
  • टेंडर प्रक्रिया की पूरी तरह अनदेखी

जांच रिपोर्ट: 700 पृष्ठों में खुला घोटाले का सच

IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त से दिसंबर 2024 तक इस घोटाले की जांच की। उन्होंने दो चरणों में 700 पन्नों की रिपोर्ट HoFF को सौंपी जिसे मार्च 2025 में शासन को भेजा गया और मुख्यमंत्री ने जून 2025 में अनुमोदन दिया।

रिपोर्ट में सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच कराने, साथ ही PMLA के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

डॉ. भार्गव पर पहले भी लगे हैं भ्रष्टाचार के आरोप

2015 में नरेंद्रनगर में DFO रहते हुए भी उन पर भारी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। लेकिन तब उन्हें “अनुभव की कमी” के आधार पर क्लीन चिट दी गई थी। लगातार मलाईदार पदों पर तैनाती और राजनीतिक संरक्षण की चर्चाएं भी लंबे समय से चल रही हैं।

इस घोटाले को क्यों कहा जा रहा है “कॉर्बेट 2”

कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में हुए घोटाले की तरह मुनस्यारी ईको हट्स मामले में भी उच्च स्तर पर राजनीतिक संरक्षण, वित्तीय अनियमितता, पर्यावरण नियमों की अनदेखी और निजी हितों को बढ़ावा देने की बातें सामने आई हैं। इसी वजह से इसे “कॉर्बेट 2” कहा जा रहा है।

जांच के घेरे में ऑडिट प्रक्रिया भी

ईको हट्स का ऑडिट जैसलमेर की एक फर्म से एक साथ चार वर्षों (2020–21 से 2023–24) का कराया गया। जबकि यह फर्म मुनस्यारी से हजारों किलोमीटर दूर है, जिससे ऑडिट की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

उत्तराखंड में ईको टूरिज्म के नाम पर हुए इस करोड़ों के घोटाले ने एक बार फिर यह दिखाया है कि राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक उदासीनता मिलकर कैसे सरकारी धन और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं।

अब निगाहें इस पर हैं कि शासन CBI और ED जांच की सिफारिशों को किस गति से आगे बढ़ाता है!

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