शराब कीमतें बढाने में नियम तार तार। शराब (कंपनी) के हाथ में आखिरकार गई । कोविड टैक्स जनता पर माल कमायेंगें सलाहकार, अफसर। जनता का 250 करोड भऱाई कंपनी को सरकार देगी 400 करोड। सब्सिडी की फाइल तैयार। बहुत बड़ा खेल होगा राज्य मे। टीम डेनिस दोबारा एक्टिव। राज्य को बहुत बड़ा झटका लगने जा रहा।
राज्य की जीरो टॉलरेंस वाली त्रिवेंद्र सरकार ने कोविड कहर को देखते हुये कैबिनेट में निर्णय लेते हुये देश में बनी व विदेशी से आयतित शराब को कमर तोड़ महंगा कर दिया है। कुछ लोगों को फायदा पंहुचाने व कुछ का नाश करने की नीयत ऐसी खटकी कि नियमों को दर किनार कर दिया गया। उत्तरप्रदेश की नकल करते हुये जनता में वाहवाही लूटते हुये कीमतों को बढा दिया गया। इसमें जहाँ सरकार का खुद का सस्ती शराब बेचने का दावा फुस्स हो गया, वहीं आने वाले समय में ओवरसीज शऱाब के कई ब्रांड बाजार से गायब होने जा रहे हैं।
ओवरसीज शराब में नियम ध्वस्त
– जनता में वाहवाही लूटने व खुद को पीड़ित दिखाकर सरकार ने विदेश से आयतित शराब पर 500 रूपये प्रति बोतल बढाने का निर्णय किया है।भारत सरकार की एक्साइज डयूटी पाॅलिसी साफ कहती है, जिसमें इंपोर्ट डयूटी को लिय़ा जा चुका है, दूसरी डयूटी नही ली जा सकती है। अभी तक एक व्यवस्था रूलिंग के तहत प्रति बोतल 25 रूपये परमिट फीस ली जाती थी। उसे सीधे सीधे पांच सौ रूपये कर दिया गया। दरअसल इसके पीछे शराब कंपनी ने पहले ही बातचीत कर ली थी। अब कोई भी व्यक्ति दिल्ली या दूसरे स्थान पर जाकर शराब खरीदने के बजाए शराब कंपनी के समक्ष माथा टेकने को मजबूर होगा।
आबकारी विभाग का आज 8 मई का आदेश
इतना ही नही शराब कंपनी अपने हिसाब से ही कई ब्रांड जिनके बांड इनके पास है, की भराई कराकर भी खेल खेलेगा। समय-समय पर इन्हे मंजूरी आबकारी मुख्यालय के दितीय तल से मिलती रहेगी, क्योंकि चतुर्थ तल सचिवालय से पहले ग्रीन सिग्नल मिल चुका है। सरकार सिर्फ इंडियन मेड लिकर में ही डयूटी ले सकती है।
इतना ही नही शराब कंपनी अपने हिसाब से ही कई ब्रांड जिनके बांड इनके पास है, की भराई कराकर भी खेल खेलेगा। समय-समय पर इन्हे मंजूरी आबकारी मुख्यालय के दितीय तल से मिलती रहेगी, क्योंकि चतुर्थ तल सचिवालय से पहले ग्रीन सिग्नल मिल चुका है। सरकार सिर्फ इंडियन मेड लिकर में ही डयूटी ले सकती है।
नीति हुई फेल ! प्रस्तावित बजट आया नही। 250 करोड़ कैसे आएंगे !
कोविड टैक्स की आड़ में शराब कंपनी और शराब भराई वाली कंपनियों पर बहुत बड़ी कृपा बरसने वाली है।सारा खेल यह साफ-साफ कुछ शराब ठेकेदारों को फायदा पहुँचाने का है। राज्य सरकार कोविड टैक्स से 250 करोड़ प्राप्त होने की बात कह रही है। यह भी आबकारी राजस्व की ही तरह न हो जाये ! राज्य सरकार द्वारा 3657 करोड़ का आबकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया था। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोई टैक्स नहीं बढ़ाया तो उक्त राजस्व कैसे प्राप्त होगा, यह समझ से परे है।
अभी तक लगभग 450 दुकानें खुली है तथा 1500 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है।
इस सरकार 2020-21 में कुल राजस्व 2500 करोड़ प्राप्त होने की संभावना है, अर्थात् नीति झूठ का पुलिन्दा है, जब ठेके ही नहीं खुलेंगे तो शराब नहीं बिकेगी, अगर शराब कम बिकेगी तो 250 करोड़ कोविड टैक्स कहाँ से आयेगा !
माह अप्रैल 2020 में दुकानें बन्द रहीं। नौकरी राजगार, पर्यटन जाने से सबकी आर्थिक स्थिति खराब है। उस स्थिति में जब खाने को पैसे नहीं है, तो महँगी शराब कौन पियेगा !
प्लांट की लागत 10 करोड सब्सिडी 400 करोड़
सरकार को यदि आम आदमी के साथ साथ राजस्व की चिंता है तो फिर राज्य में सिर्फ भराई के लिये स्थापित बाटलिंग प्लांट को प्रस्तावित सब्सिडी पर ब्रेक क्यों नही लगाती है। आज उत्तराखण्ड में स्थित बॉटलिंग प्लाण्ट को एम.एस.एम.ई. नीति के तहत् Ex-Duty में 75% की छूट, बाटलिंग फीस में 100% छूट, वैट में 100% छूट व अन्य परिवहन, बिजली अन्य छूट अनुमन्य है। केवल एक्साईज ड्यूटी, वैट व बॉटलिंग फीस से सम्बन्धित छूट ही लगभग 400 Cr. से अधिक बनती है, जिसका फायदा, त्रिवेंद्र सरकार मे खुली शराब फैक्ट्रियों को मिलना है। जबकि इनकी फैक्ट्री 10 करोड़ से कम में (MSME) स्थापित हुई है तथा उनको इतनी छूट देना कितना उचित है !
सरकार कब तक सरकारी पैसों को चहेते बॉटलिंग यूनिट वालों पर लुटायेगी !
क्या उचित नहीं हो इनको दी जाने वाली छूट समाप्त कर राज्य सरकार राज्य हित में उस धनराशि का उपयोग कर तथा कैबिनेट में राज्य सरकार प्रस्ताव लायगी तथा शराब व्यवसायी को इतनी छूट देना कितना सही है, प्रश्न अभी खड़े हैं। ओवरसीज मदिरा जिसकी बिकी 5000 केस से भी कम है में रू 500/- टैक्स लगाकर आखिर कितने करोड़ रू. मिलने जा रहा है। मिलेगा, लेकिन अंग्रेजी शराब के महंगे होने से तस्करी बढ़ेगी। वहीं अपने चहेते बॉटलिंग प्लाण्ट व’ की शराब में मात्र रू. 20/- का टैक्स लगाकर जो कि लगभग 35 लाख पेटी बेचते है, में अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाया जा रहा है। कल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सरकार की नीयत कोविड टैक्स के मामले में टीक नहीं है तथा यहाँ भी झूठे आंकडे पेश कर रही है तथा अपने चहेते बॉटलिंग को।