देखिए यह है ओम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज रुड़की के माननीय चेयरमैन साहब जिन्होंने फीस बढोतरी के खिलाफ दिए माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों को मानने से मना कर दिया। उसके बाद छात्रों द्वारा विरोध जताने पर खुद चेयरमैन ने कुर्सियां उठाई और अपने ही कॉलेज के शीशों को तोड़ डाला।
उनके गार्जियंस को बुलाया गया तथा उनके साथ किस कदर बर्बरता की गई, यह आप वीडियो में देख सकते हैं।
उनके साथ गलत शब्द का इस्तेमाल किया गया तथा उसके बाद एक छात्र के ऊपर झूठी एफआइआर दर्ज करा डाली।
मजेदार बात यह रही कि एफआइआर भी उस छात्र के नाम हुई जो उस दिन अपनी बहिन के साथ बाहर गया था। दूसरा इस तोड़ फोड़ की एफआइआर भी आराम से दो दिन बाद दर्ज की गयी।
देखें यह हालात उत्तराखंड के हैं और यहां पर शासन प्रशासन नेताओं मंत्रियों के दबाव में इतना है कि उसे यह भी नहीं दिखाई देता कि एक छात्र पर जो कि इस राज्य का और इस देश का भविष्य होता है, आप उसके लिए झूठा मुकदमा दर्ज करा रहे हैं !
बहरहाल माननीय उच्च न्यायालय ने उस एफआइआर पर स्टे लगा दिया तथा चेयरमैन मुनीश सैनी जो अपने आप को बहुत ही शिक्षित बताते हैं, अगर इस तरह खुद ही तोड़ फोड़ करके गुनाह छात्रों के सर मढ देंगे तो तो भला जनता कब तक चुप बैठेगी ! शुक्र है कि सरकार का भले जो भी टोलरेंस हो लेकिन पब्लिक के टोलरेंस का लेबल बहुत ऊंचा लगता है।