काली कुमाऊं के दिव्यांग बीएड बेरोजगार जिन्होंने अपनाया बाल कटिंग का स्वरोजगार। भूगोल में परास्नातक और बीएड हैं राम सिंह। ॐ हेयर कटिंग सैलून की लोग कर रहे प्रसंशा
नकुल पंत
चम्पावत। क्या आपने कभी भूगोल शिक्षक को बालों का नक्शा बदलते देखा है। काली कुमाऊं चम्पावत के विकासखंड लोहाघाट में बेरोजगार शिक्षित 35 वर्षीय युवक दिव्यांग राम सिंह बोहरा ने हेयर शैलून की दुकान खोल स्वरोजगार को चुना है।
पुलहिंडोला निवासी राम सिंह कुमाऊँ यूनिवर्सिटी से भूगोल में परास्नातक होने के साथ प्रतिष्टित एसआरएम यूनिवर्सिटी से बीएड हैं।
राम सिंह ने बताया कि उनके ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बाल और सेविंग बनाने के लिए लोहाघाट नगर जाना पड़ता था।
तो उन्होंने नौकरी न मिल पाने के चलते बेझिझक बेरोजगारी के संकट से उभरने के लिए कैंची पकड़ आर्थिक तंगी को दूर करने का मन बना लिया।
दिव्यांगता के बावजूद
उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद यदि वो चाहते तो बाहर शहरों में नौकरी कर सकते थे। लेकिन वह अपने पहाड़ को नहीं छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने हेयर सैलून को स्वरोजगार चुना और दिव्यांग होते हुए मिसाल कायम की।
क्षेत्रीय लोग इस युवा की काफी सराहना कर रहे हैं।
सरकार से आस
राम सिंह कहते हैं कि सरकार के पास युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कोई खास रोड मैप तैयार नही है। कहा कि सरकार को चाहिये कि वह हम जैसे और युवाओं को भी अधिक से अधिक स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ब्याजमुक्त ऋण एवम आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए।
व्यवस्था पर सवाल
आंखिर राज्य के खद्दरधारियों से पूछा जाना चाहिए कि क्यों एक बीएड बेरोजगार ने बाल कटिंग को अपना आजीविका का साधन बनाना पड़ा है।
तो क्या ऐसी रोजगार व्यवस्था से राज्य के युवा का भला हो पाएगा।
अनुमान स्वयं लगाया जा सकता है कि जिस राज्य में एक दिव्यांग बीएड बेरोजगार को रोजगार के लिए सैलून की दुकान खोल आजीविका चलानी पड़ रही हो तो अन्य बेरोजगारों की क्या स्थिति होगी।