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स्वास्थ्य बीमा न होने से भगवान भरोसे कर्मचारियों की सेहत

स्वास्थ्य बीमा न होने से भगवान भरोसे कर्मचारियों की सेहत

सरकार की नीतियों के चलते आज समस्त कर्मचारी एवं उनके आश्रित स्वास्थ्य बीमा कवरेज से बाहर हैं।

 पूर्व से चली आ रही यू हेल्थ योजना सरकार ने मार्च 2020 से बंद कर दी है।
 सरकार के द्वारा आयुष्मान के अंतर्गत स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम लांच की गई थी इसमें सभी शिक्षकों कर्मचारियों एवं पेंशनरों को शामिल किया जाना है।
 सभी को इस सुविधा हेतु अंशदान देना है, जो कि पेंशन अथवा वेतन से काटा जाना है। इस योजना में कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही है।
 यदि इस समय कोई गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गया तो इलाज कराना मुश्किल हो जाएगा।
 आज इलाज कराना कितना महंगा है उससे हम सभी अवगत हैं। सरकार को चाहिए कि सरकार आयुष्मान के अंतर्गत स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम को तुरंत क्रियान्वित करें।
 सरकार हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने एवं कर्मचारियों का अंशदान काटना शुरु करें। यदि कोई कर्मचारी गंभीर रूप से बीमार होकर अपना इलाज कराता है तो वर्तमान स्थिति में उपचार में खर्च हुई धनराशि भी उसे वापस नहीं मिल पाएगी।
 वर्ष 2012 में शुरू की गई यू हेल्थ कार्ड योजना सरकार ने बंद कर दी।
 पहले यह योजना स्वैच्छिक थी। उसके बाद 2017 में सरकार ने इसे सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया। ग्रेड पे के अनुसार इसमें अंशदान भी कटता था लेकिन मार्च 2020 में यह योजना भी बंद हो गई।
 राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना एसजीएचएस अभी भी कार्यान्वित नहीं हो पाई है।
 सरकार ने नया फैसला लिया था कि अटल आयुष्मान योजना में अब सरकारी कर्मचारियों का अंशदान कटेगा तथा प्रदेश के भीतर और बाहर सूचीबद्ध अस्पतालों में असीमित कैशलेस उपचार की सुविधा मिलेगी।
 मई महीने में इस का शासनादेश भी जारी हो गया।
 लेकिन अभी तक न तो सरकारी कर्मचारियों को और पेंशनरों को कोई कार्ड जारी हुए हैं और ना ही अंशदान कटना शुरू हुआ है।
 कर्मचारियों में यह आशंका है कि यदि इस समय कोई बीमार पड़ गया तो इलाज में खर्च धन की प्रतिपूर्ति कैसे होगी ! सरकार की लापरवाही सरकारी कर्मचारियों पर भारी पड़ने वाली है।
 वहीं अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 के कारण बायोमैट्रिक सिस्टम बंद पड़ा हुआ है, इसलिए स्वास्थ्य योजना पर यह कार्य शुरू नहीं हुआ है।
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