उत्तराखंड में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का स्वास्थ्य अधर में। सरकार ने नहीं बनाए स्वास्थ्य सम्बंधित कोई नियम

उत्तराखंड में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का स्वास्थ्य अधर में। सरकार ने नहीं बनाए स्वास्थ्य सम्बंधित कोई नियम

– मानव अधिकार आयोग के नोटिस का जवाब किया दाखिल
– आखिर आंगनवाड़ी, सहायिका, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के स्वस्थ्य सम्बंधित क्यों नहीं है नियम

उत्तराखंड। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी, सहायिका, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का प्रदेश में शोषण किया जा रहा है। जहाँ एक ओर प्राइवेट सेक्टर की कम्पनियों में भी अपने कर्मचारियों के लिए स्वस्थ्य सम्बंधित नियम बनाये गए है, जिससे स्वस्थ्य खराब होने की स्थिति में इलाज प्राप्त किया जा सके एवं सरकारी कर्मचारियों के स्वास्थ्य के संबंध में भी नियम का प्रावधान किया गया है। लेकिन वही बाल विकास विभाग द्वारा अपने अधीन कार्य करने वाली आंगनवाड़ी, सहायिका, मिनी आंगनवाड़ी के लिए कोई स्वस्थ्य सम्बंधित नियम का कोई प्रावधान नहीं किया गया।

आरटीआई कार्यकर्ता आकाश कुमार सैनी द्वारा उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग में 01 जून 2020 को शिकायत भेजते हुए बताया था कि, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मूलभूत सुविधा स्वस्थ्य चिकित्सा परीक्षण ना देकर विभाग द्वारा महिला कार्यकत्रियों का शोषण किया जा रहा है। शिकायत पर संज्ञान लेकर मानव अधिकार आयोग ने निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग को नोटिस जारी कर शिकायत पर जवाब मांगा था। बाल विकास विभाग द्वारा मानव अधिकार आयोग में जवाब दाखिल करते हुए स्पष्ट किया है कि, स्वास्थ्य संबंधित किसी का कोई परिधान नहीं है।

साथ ही मानव अधिकार आयोग ने उक्त मामले की सुनवाई दिनाँक 10/11/2020 निर्धारित की गई।

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