कृष्णा बिष्ट
याचिकाकर्ता के वकील की सारी दलीलों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने मुख्य सचिव और सचिव आपदा प्रबंधन समेत सभी 14 पक्षकारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये और सभी पक्षकारों को बाईहैण्ड नोटीस सर्विंग कराने के आदेश दिये। इसके साथ ही अगली सुनवाई मंगलवार 26 नवम्बर को निर्धारित की है साथ ही याचिकाकर्ता के वकील को अगली सुनवाई में विलय के लिये मंत्रिमंडल के समक्ष रखे गये कैबिनेट नोट , मंत्रिमंडल के निर्णय और शासनदेश को प्रस्तुत करने के लिये कहा है।
याचिकाकर्ता के वकील की सारी दलीलों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने मुख्य सचिव और सचिव आपदा प्रबंधन समेत सभी 14 पक्षकारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये और सभी पक्षकारों को बाईहैण्ड नोटिस सर्विंग कराने के आदेश दिये। इसके साथ ही अगली सुनवाई मंगलवार 26 नवम्बर को निर्धारित की है साथ ही याचिकाकर्ता के वकील को अगली सुनवाई में विलय के लिये मंत्रिमंडल के समक्ष रखे गये कैबिनेट नोट , मंत्रिमंडल के निर्णय और शासनदेश को प्रस्तुत करने के लिये कहा है।
पहली सुनवायी में खंडपीठ ने पक्षकारों को जवाब दाखिल करने के लिये 10 दिन का समय दिया था, लेकिन कल 10 दिन पूरे होने के बाद भी पक्षकारों की तरफ से जवाब दाखिल नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील एम सी पन्त ने अदालत को बताया कि पक्षकारों को 10 दिन का समय याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिये दिया गया था।
मा. न्यायालय द्वारा इस प्रकरण पर कोई अन्य आदेश नहीं दिया गया था इसी का फायदा उठाकर पक्षकारों ने अगली सुनवायी होने से पहले ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र DMMC का राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में विलय करवा दिया। इस विलय में केवल 29 कार्मिकों का विलय किया गया जबकि आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र और राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में लगभग 60 कार्मिक हैं। इन 29 कार्मिकों में याचिकाकर्ता व अन्य समान कार्मिकों को इस विलय योजना में सम्मिलित ही नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस प्रकार पक्षकारों ने विलय का षड्यंत्र करके मा. न्यायालय की शरण में आये हुये याचिकाकर्ता की सेवा को अप्रत्यक्ष रूप से समाप्त करने का प्रयास किया है। मा. न्यायालय की शरण में आये हुये याची की सेवा को किसी भी प्रकार से प्रभावित करना मा. न्यायालय की अवहेलना है।