स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोडवेज कर्मचारियों को लॉक डाउन के दौरान वेतन नहीं दिए जाने के खिलाफ़ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से इस मामले में उचित कदम उठाने को कहा है। न्यायालय ने निगम को भी निर्देश दिये हैं कि निगम वित्तीय स्थिति के बारे में रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे।
मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चैहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन और रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। न्यायालय ने निगम के समस्त कर्मचारियों को वेतन व अन्य देयकों का भुगतान नहीं होने के मामले में गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कर्मचारी कैसे अपना जीवन यापन कर रहे होंगे।
निगम की ओर से कहा गया कि कोरोना महामारी के चलते निगम की वित्तीय हालत गड़बड़ा गयी है। निगम की तरफ से यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं में जारी होने वाली 70 करोड़ की धनराशि नहीं दी गयी है। न्यायालय ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि ऐसी स्थिति में निगम की मदद करे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उ.प्र.सरकार की ओर से मिलने वाली लगभग 700 करोड़ की केन्द्रीय परिसंपत्तियों के मामले में भी प्रदेश सरकार के ठोस कदम नहीं उठा रही है। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि वह परिवहन निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस मामले में ठोस पहल करे। ताकि निगम के कर्मचारियों को मार्च से नियमित वेतन मिल सके।
कोर्ट ने सरकार को यह भी कहा कि वह उप्र सरकार के साथ संयुक्त बैठक कर परिसंपत्तियों के मामले में उचित निर्णय ले। कोर्ट ने सरकार को दोनों मामलों में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने निगम को भी कहा कि वह निगम की स्थिति के मामले में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे। अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी। मामले के अनुसार रोडवेज कर्मचारी यूनियन की तरफ से जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि निगम ने कर्मचारियों को लॉक डाउन के दौरान का वेतन नही दिया है न ही पूर्व कर्मचारीयो को पेंशन व अन्य देयकों का भुगतान किया जा रहा है सरकार परिसम्पत्तियों के बँटवारे के मामले में भी उदासीन है। जबकि यू.पी. परिवहन निगम के पास करोड़ो रूपये बकाया है।