स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में तहसीलदार व दो कानूनगों द्वारा सरकारी कार्य मे लापरवाही और अनियितताएँ किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए तहसीलदार शालिनी मौर्या, कानूनगो अमरीश कुमार और बीरेंद्र कुमार को नोटिस जारी कर सरकार से यह बताने को कहा है कि डिप्टी कलेक्टर की जाँच पर क्या कर्यवाही की गयी ? मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने इसपर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी अधिवक्ता चरण सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार के तहसीलदार और दो कानूनगो ने सरकारी कार्य मे लापरवाही और अनियमितताएं की हैं। उन्होंने भू-अभिलेखों का डेटा भी नही चढ़ाया है। डेटा चढ़ाने के लिए इनके द्वारा प्राइवेट लड़के और लड़कियां रखी गयी है। जब इसकी शिकायत उन्होंने राजस्व परिषद के चीयरमैन से की। चीयरमैन ने इसकी जाँच डिप्टी कलेक्टर से कराई। डिप्टी कलेक्टर ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट 31 मार्च 2022 को चेयरमैन और सरकार को सौप दी। रिपोर्ट में कहा गया कि इनके खिलाफ कई अनियमितताएं पाई गई हैं। इनका ट्रांसफर हरिद्वार से कहीं दूसरे जिले में किया जाय। इनकी सम्पतियों की जाँच भी हो। इसके बाद भी इनके खिलाफ सरकार ने कोई कार्यवाही नही की। जनहित याचिका में दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और जांच कराने की मांग की गई है।