स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा अन्य नगर पालिकाध्यक्ष पदों के प्रस्तावित आरक्षण तय करने के बावजूद किच्छा नगर पालिकाध्यक्ष का आरक्षण तय नहीं करने संबंधी याचिका में राज्य सरकार से एक हफ्ते के भीतर किच्छा नगर पालिकाध्यक्ष के आरक्षण का अंतिम नोटिस प्रकाशित करने व प्रदेश की सभी 44 नगर पालिकाध्यक्षों के प्रस्तावित आरक्षण पर एक साथ आपत्ति सुनने के निर्देश दिए हैं ।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में शुक्रवार को किंच्छा निवासी नईमूल हुसैन व संतोष रघुवंशी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि सरकार ने 14 दिसम्बर को प्रदेश के 43 नगर पालिकाध्यक्ष पदों के लिये प्रस्तावित आरक्षण की अधिसूचना जारी कर उसमें आम जनता से आपत्तियां मांगी हैं, लेकिन इस अधिसूचना में किंच्छा नगर पालिकाध्यक्ष के आरक्षण का उल्लेख नहीं किया है। इससे यह आशंका है कि सरकार वहां नगर पालिका चुनाव टालना चाहती है। इसके अलावा आरक्षण आवंटन नियमावली के अनुसार पालिकाध्यक्ष के जितने भी पद होंगे उसी के अनुसार रोस्टर के आधार पर आरक्षण निर्धारित किया जाएगा, लेकिन वर्तमान में सरकार ने 43 पालिकाध्यक्ष पदों के आधार पर ही रोस्टर तय किया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार सरकार ने पूर्व में किंच्छा नगरपालिका के कुछ वार्ड गांवों में मिला दिए थे, जिसपर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। इसके बाद सरकार ने इन क्षेत्रों को पुनः नगर पालिका में शामिल कर दिया। लेकिन अब वहां नगर पालिका के चुनाव टालने की कोशिश की जा रही है । न्यायालय ने अब किंच्छा नगर पालिकाध्यक्ष पद के आरक्षण का नोटिस जारी कर उसपर अन्य पालिकाओं के साथ आपत्तियां सुनने के निर्देश दिए हैं ।