स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वनभूलपुरा दंगे में शामिल आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फिलहाल उन्हें कोई राहत नहीं दी। वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने उनके प्रार्थनापत्र पर राज्य सरकार से अपनी आपत्ति दर्ज करने को कहा है और अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए तय की है।
शुक्रवार को हुई सुनवाई पर आरोपी अब्दुल मोईद की ओर से एक अतिरिक्त शपथपत्र पेश कर कहा गया था कि घटना के वक्त वह घटना स्थल पर मौजूद नहीं था। शपथपत्र में उनके द्वारा अपने पक्ष में कई साक्ष्य और बयान भी पेश किए गए। न्यायालय ने सरकार से इनकी जाँच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। खंडपीठ ने अब्दुल चौधरी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि घटना के समय जो अभियुक्त वहां मौजूद थे उन सभी का एक चार्टशीट बनाकर न्यायालय में प्रस्तुत करें। जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें बेवजह शामिल किया गया है, लिहाजा उन्हें जमानत पर रिहा किया जाय क्योंकि इस मामले से जुड़े कई आरोपियों की जमानत हो चुकी है। उसी के आधार पर उन्हें भी साक्ष्यों के अभाव पर जमानत पर रिहा किया जाए।
मामले के अनुसार 18 फरवरी 2024 को बनभूलपुरा हल्द्वानी में हुए दंगे में अब्दुल मोईद, अब्दुल मलिक सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने अब्दुल मलिक व उसके पुत्र अब्दुल मोईद को मुख्य आरोपी घोषित किया था। साथ ही उसके साथ देने वाले अन्य लोगों को भी आरोपी घोषित किया था। पुलिस की जाँच में ये लोग शामिल पाए गए। पूर्व में हुई सुनवाई पर अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए उनसे पिछले माह जिला न्यायालय में जमानत अर्जी दायर करने को कहा था । लेकिन घटना घटित होने के बाद से सभी आरोपी जेल में बंद है । इस मामले की पैरवी आज उनके अधिवक्ता विकास गुगलानी और दीप चन्द्र जोशी ने की।