कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पाँच सौ करोड़ रूपये से अधिक के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, जांच डायरेक्टर विजिलेंस से हटाकर एस.आई.टी.को देने को कहा है।
सुभाष नौटियाल की जनहित याचिका में लगाये गए आरोपों के आधार पर घोटाले की जांच डायरेक्टर विजिलेंस से हटाकर समस्त कागजातों के साथ एस.आई.टी.को देने को कह दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ और न्यायमुर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ में सरकार की तरफ से नियुक्त विशेष वकील पुष्पा जोशी और ललित सामन्त ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि एस.आई.टी.ने 77 प्रतिशत जांच पूरी कर ली है। शेष 23 प्रतिशत जांच करने के लिए छः माह का समय दिया जाए।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान, एस.के.सिंह और सुभाष नौटियाल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति घोटाला, वर्ष 2005 से किया जा रहा है।
यह घोटाला करीब पाँच सौ करोड़ रूपये से अधिक का है, इसलिए इस मामले की जाँच सी.बी.आई.से कराया जाए। छात्रवृति का रुपया छात्रों को न देकर स्कूलों को दिया गया या फिर उन लोगों को दिया गया है जो उस स्कूल के छात्र ही नही थे। न्यायालय ने जांच डायरेक्टर विजिलेंस से हटाकर एस.आई.टी.को देने के साथ अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि तय की है।