उत्तराखंड सरकार कितनी भी जीरो टोलरेंस की बातें कर ले लेकिन ब्यूरोक्रेसी में भ्रष्टाचार पग पग पर दिखाई पड़ जाता है।
आज जो मामला निकल कर सामने आया है वह उत्तराखंड कैडर की एक आईएएस महिला अधिकारी निधि यादव का है। जिनके खिलाफ पीसीएस रहते आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार के आरोप थे लेकिन वह फाइल दबा कर उन्हें आईएएस अधिकारी बना दिया गया।
निधि यादव जब पीसीएस अधिकारी थी तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनकी जांच हुई,जिसमें पता चला मैडम अपनी आय से कई अधिक संपत्ति की मालकिन है ।
विजिलेंस के द्वारा शासन से इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गई लेकिन वह फाइल आज तक दबी हुई है इसके उलट जांच फाइल को दबाकर बड़ी सेटिंग करते हुए पीसीएस से प्रमोशन का प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग को भेज दिया जाता है।
आय से अधिक संपत्ति की जांच के मामले में संघ लोक सेवा आयोग ने शासन से जवाब मांगा है। आखिर कैसे इतने गंभीर आरोपों और जांच के पश्चात पीसीएस से इस महिला अधिकारी को आईएस बना दिया जाता है। अब इस मामले में एक और जांच गतिमान हो गई है ।
निधि यादव को जो कि उस वक्त पीसीएस अधिकारी थी और निवेशक मंडी परिषद रुद्रपुर उधम सिंह नगर के पद पर थे।
विजलेंस की गोपनीय जांच में निधि यादव के द्वारा उनके और उनके परिवारिक सदस्यों के नाम कई संपत्तियों का खुलासा हुआ है और लाखों की धनराशि उनके द्वारा बैंक ऑनलाइन और चेक के माध्यम से ट्रांसफर की गई है।
इस संबंध में विजिलेंस ने शासन को पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अभी तक इस मामले में अनुमति नहीं मिल पाई है। साथ ही यह भी खबर है कि निधि यादव से जुड़ी फाइल ही शासन से गायब हो गई है।
इसमें बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब ब्यूरोक्रेसी ही भ्रष्ट होगी तो आखिर उत्तराखंड से भ्रष्टाचार कैसे खत्म होगा!
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस महिला आईएएस ऑफिसर के खिलाफ कार्यवाही होगी भी या यह फाइल यूं ही दबी रहेगी!