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बड़ा खुलासा : असिस्टेंट प्रोफेसर की आत्महत्या मामले में नया मोड़

June 8, 2023
in उत्तराखंड
बड़ा खुलासा : असिस्टेंट प्रोफेसर की आत्महत्या मामले में नया मोड़
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घुड़दौड़ी कॉलेज असिस्टेंट प्रोफेसर की आत्महत्या मामले में नया मोड़ आ गया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि कहीं एसआईटी जांच को प्रभावित करने के लिए तो नही रची गई थी ये साजिश !

गौरतलब है कि कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर की आत्महत्या के मामले में कॉलेज के डॉ वाई सिंह को हटाए जाने के सरकार के फैसले पर खुद भाजपा की ही पौड़ी  जिले की जिला अध्यक्ष सुषमा रावत ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

सुषमा रावत ने इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने के संबंध में मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखा है और तफ्तीश से सभी वास्तविक तथ्यों से उनको अवगत कराया है।

बड़ा सवाल यह है कि जो तथ्य अपने पत्र में भाजपा की ही जिला अध्यक्ष सुषमा रावत ने गिनाए हैं आखिर उन तथ्यों  को पुलिस; प्रशासन और शासन ने क्यों नजरअंदाज कर दिया !

बड़ा सवाल यह है कि कॉलेज के डॉ वाई. सिंह को हटाने का तो नहीं था प्लान !

अब जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज पौड़ी की असिस्टेंट प्रोफेसर मनीषा भट्ट आत्महत्या के मामले में साजिश की बू आ रही है।

अब यह सवाल उठ रहे हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मनीषा भट्ट ने आत्महत्या अपनी व्यक्तिगत परेशानियों के चलते की हो, लेकिन इसके इसकी दिशा किसी ने जानबूझकर इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक की तरफ मोड़ दी ताकि इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक को हटाया जा सके और इस तरह से कॉलेज में भ्रष्टाचार को लेकर चल रही एसआईटी जांच को प्रभावित किया जा सके।

गौरतलब है कि 25 मई 2023 को असिस्टेंट प्रोफेसर मनीषा भट्ट ने आत्महत्या कर ली थी लेकिन अभी तक पुलिस की जांच में ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया है जिससे यह पता लगता हो कि कॉलेज के निदेशक/विभागाध्यक्ष के स्तर पर उसका किसी भी तरह से उत्पीड़न हुआ हो, बल्कि उनकी छुट्टी से लेकर सभी तरह के मामलों में कॉलेज के सहयोगात्मक रवैये की बात ही सामने आ रही है।

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर आत्महत्या के लिए कॉलेज को जिम्मेदार ठहराने के पीछे आखिर क्या मनसा रही हो सकती है !

इस दिशा से विश्लेषण करें तो जांच की सुई कॉलेज में अवैध रूप से नियुक्त 59 शिक्षकों की नियुक्ति का जो प्रकरण एसआईटी के समक्ष जांच के लिए विचाराधीन है, उसी पर आकर टिक जाती है।

 कॉलेज के निदेशक वाई सिंह इस भर्ती घोटाले को लेकर काफी सख्त रुख अपनाए हुए थे इसलिए उनको हटाए जाने के लिए समय-समय पर धरना प्रदर्शन आदि होता रहता था।

 आत्महत्या वाले प्रकरण में मीडिया ट्रायल होने के बाद सरकार को दबाव में तात्कालिक कार्यवाही करते हुए कॉलेज के निदेशक डॉ वाई सिंह को हटाना पड़ा था।

 मनीषा भट्ट के पति संदीप भट्ट ने मनीषा भट्ट के आत्महत्या करने के बाद श्रीनगर कोतवाली में एक तहरीर दी थी जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी असिस्टेंट प्रोफेसर मनीषा भट्ट की आत्महत्या के पीछे निदेशक एवं विभागाध्यक्ष पर उत्पीड़न किए जाने का आरोप लगाया था।

आत्महत्या के प्रकरण में जनाक्रोश के भड़क जाने के चलते पुलिस प्रशासन ने भी आनन-फानन में उसी तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर दिया और जिला प्रशासन ने भी तहरीर को ही लगभग कट पेस्ट करते हुए बिना जांच के ही उत्तराखंड शासन को अपनी रिपोर्ट बनाकर भेज दी और शासन ने भी बिना किसी जांच के तत्काल कॉलेज के प्रभारी निदेशक डॉक्टर वाई सिंह को पद मुक्त कर दिया।

बड़ा  सवाल यह है कि संस्थान में 59 शिक्षकों की अवैध नियुक्ति से संबंधित प्रकरण वर्ष 2021 से एसआईटी की जांच में विचाराधीन होने के कारण जांच दल द्वारा पर्याप्त सबूत उपलब्ध होने के बावजूद भी अभियुक्त संदीप कुमार से नियुक्ति से संबंधित मूल अभिलेखों की पत्रावली अभी तक प्राप्त नहीं की जा सकी हैं।

ऐसे में विचारणीय बिंदु यह है कि मनीषा भट्ट ने किन परिस्थितियों में आत्महत्या की है !

मनीषा भट्ट की आत्महत्या के पीछे कोई घरेलू वजह है या कोई अन्य वजह है, इसकी जांच तो जांच एजेंसी द्वारा विस्तृत तरीके से तथ्य जुटाने पर ही हो सकेगी लेकिन जिस तरह से आनन-फानन में कॉलेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए डॉक्टर वाई सिंह को पद मुक्त किया गया है , उससे यही प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं कोई तो है जो एसआईटी जांच को प्रभावित करना चाहता है।

भाजपा की जिला अध्यक्ष द्वारा सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करने के बाद अब इस बात की मांग तेज होने लगी है कि इस पूरे प्रकरण की सभी तथ्यों को देखते हुए निष्पक्ष समय पर जांच कराई जाए।

 


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