गाँव टोड़ाकल्याणपुर हरिद्वार जिले की रूड़की तहसील में स्थित है। इसका एकमात्र सड़क मार्ग सेना क्षेत्र से होकर जाता है, जो गाँव को रूड़की मुख्यालय से जोड़ता है।
23 मार्च 2020 से कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन होने पर ग्रामीणों के घरों में रहने से सेना द्वारा इसका फायदा उठाकर स्थाई गेट का निर्माण कर दिया गया और मार्ग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
बीमार पूर्व सैनिक के लिए भी नही खोला रास्ता
दो दिन पहले इसी मार्ग पर स्थित नंदा कॉलोनी के निवासी एक रिटायर्ड सेनाकर्मी के लिए निवेदन करने पर भी सेना अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं भेजी गई। बाद में निजी एम्बुलेंस को भी नहीं आने दिया गया, जबकि उस रिटायर्ड सेनाकर्मी के दोनों पुत्र भी वर्तमान में भारतीय सेना में सेवायें दे रहे हैं। बीमार व्यक्ति को किसी प्रकार चारपाई पर लेटाकर 2 किमी दूर मुश्किल से एम्बुलेंस तक पहुंचाया गया।
कई गांव को जोड़ने का है यह एकमात्र मार्ग
यह मार्ग अन्य कई गाँव खटका, जलालपुर, दुर्गा कॉलोनी, नंदा कॉलोनी आदि का भी एकमात्र मार्ग है। इस मार्ग को सेना द्वारा बार-बार बंद कर ग्रामीणों को परेशान किया जाता है, विरोध करने पर ग्रामीणों से मारपीट भी की जाती है। विवाद बढ़ने पर नैनीताल उच्च न्यायालय में वाद दायर किया गया था, जिस पर कई वर्षों से सुनवाई चल रही है।
इन सभी गाँव की लगभग एक लाख आबादी का रूड़की मुख्यालय से सम्पर्क कट गया है। ग्रामीणों को आवश्यक सेवाओं और जरुरी सामान की आपूर्ति भी सुचारु रूप से नहीं हो पा रही है। ग्रामीण खेतों के कच्चे कीचड़ भरे रास्तों से बमुश्किल किसी प्रकार दवाई इत्यादि लेने के लिए जा रहे हैं।
सब जगह गुहार, अनसुनी है फरियाद
ग्रामीणों द्वारा इसकी शिकायत विधायक, जिलाधिकारी हरिद्वार, उत्तराखंड सरकार, भारत सरकार को भी की है। किंतु कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्या इन गांवों में इंसान नहीं रहते, क्या इनके शरीर में खून की जगह पानी भरा है ! अगर आम आदमी किसी कारण रास्ता बंद करता है तो प्रशासन उस पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही कर देता है, लेकिन उसी प्रशासन ने अब इन गरीब ग्रामीणों को मरने के लिए छोड़ दिया है। इससे अच्छा तो ग्रामीणों को जहर देकर मार दिया जाए तो विवाद ही खत्म हो जाएगा।