कमल जगाती/नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कोरोना महामारी के दौरान राज्य कर्मचारियों के वेतन कटौती संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब देने को कहा था, जिस पर सरकार ने न्यायालय से तीन हफ्ते का समय ले लिया है।
देहरादून निवासी दीपक बेनीवाल व अन्य ने न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि कोविड-19 संक्रमण के चलते सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न सरकारी, शासकीय सहायक प्राप्त शिक्षण संस्थान, प्राविधिक शिक्षण संस्थान, निगम, निकायों, सार्वजनिक उपक्रम और स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों के वेतन में से एक साल तक हर माह एक दिन के वेतन की कटौती का शासनादेश जारी किया गया है। कहा गया है कि आदेश था कि इस धनराशि को जनहित में मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाया जाए।
बेनीवाल ने इस शासनादेश को चुनौती देते हुए इसे गलत बताया और सरकार के इस शासनादेश पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि वेतन कर्मचारियों की निजी संपत्ति है और सरकार इसपर कटौती नहीं कर सकती। मामले में सुनवाई के बाद गुरुवार को न्यायाधीश सुधांशू धूलिया की एकलपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि आखिर सरकार ने किस अधिकार से राज्य कर्मचारी के वेतन में कटौती की है ? एकलपीठ ने राज्य सरकार को 26 जून को जवाब पेश करने को कहा जिसपर आज सरकार ने न्यायालय से तीन हफ्ते का समय मांगा। न्यायालय ने सरकार से तीन हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है।