छठी कक्षा में मलाला का चैप्टर। भारतीय नारियों का पड़ा अकाल। गुस्से में भारतीय
भारत में हिंदू हृदय सम्राट भाजपानीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है। इसी सरकार में पाकिस्तान की महिला मलाला का चैप्टर छठी क्लास की पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि, सदियों से भारतीय नारियों के प्रेम पराक्रम और सेवा की नींव पर विकसित भारत में पाठ्यक्रम तैयार करने वालों को भारत की कोई नारी इस लायक नहीं लगी, इसलिए पाकिस्तान से मलाला को उठा लाए। इस को लेकर भारतीयों और विशेष कर हिंदुओं में बेहद नाराजगी देखी जा रही है। हिंदू धर्म के लिए जन जागरण करने वाले विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने तो अपनी फेसबुक पोस्ट पर पाठ्य पुस्तक का संबंधित पेज अपलोड करके तल्ख टिप्पणी की है। आइए देखते हैं पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने क्या कहा है-
“मलाला पर चैप्टर घोर आपत्तिजनक”
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ सवाल खड़े करते हुए कहते हैं,-“क्या आप विश्वास करेंगे एक घोर हिंदू विरोधी भारत विरोधी महिला जिसने कभी पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं और सिखों पर हो रहे अत्याचारों पर कुछ नहीं बोला, जिसे सिर्फ कश्मीर दिखता है, उस महिला यानी मलाला की जीवनी भारत के सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल की गई है ? जी हां, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नाक के नीचे ICSE/ISE बोर्ड की क्लास 6 की English Literature की पुस्तक में मलाला से रिलेटेड पूरा चैप्टर है।
इतना ही नहीं आईसीएसई बोर्ड यूट्यूब चैनल पर मलाला से संबंधित कई वीडियो भी डाला है ताकि टीचरों को इसके बारे में पढ़ाने में आसानी हो। भारत में लाखों ऐसी महिलाएं और लड़कियां हैं जो काफी संघर्षों से समाज में अपना मुकाम स्थापित की है, जिन्हें युवाओं के लिए बच्चों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बताकर पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भारत की महिलाएं और भारत की लड़कियों में को नहीं, बल्कि पाकिस्तान की एक धूर्त महिला को हीरो बनाना है।”
इनकी बातों से सहमत संजय शर्मा कहते हैं कि “मलाला को पाकिस्तान में गोली मारी गई थी और इस्लामिक कट्टरपंथियों की शिकार हुई है, वह पाकिस्तान के सपोर्ट से कश्मीर के लिए बोलती है। वह अपने घर तो जा नहीं सकती लेकिन भारत के मैटर में बोलती है।” शर्मा कहते हैं कि, गलती उनकी नहीं गलती हमारे देश के गद्दारों में है जो इनको सुनते और पढ़ते हैं।”
मुकेश कुंडल कहते हैं,-“मलाला 2012 में तालिबान आतंकी संगठन ने इसे गोली मारी थी चली लंदन भाग गई और वहां से भारत के खिलाफ जहर उगलती है। समझ नहीं आता इस देश में कैसे-कैसे लोग मौजूद हैं, क्योंकि अपनी बहन बेटियों की कदर नहीं करते और दूसरों को घर में बैठा आते हैं।”
चिरंतन त्रिपाठी कहते हैं,-“इसके लिए शिक्षा विभाग में भरे हुए वो गद्दार जिम्मेदार हैं, जिन्होंने भारतीयता और सनातन संस्कृति को अपमानित करने का बीड़ा वर्षों से उठा रखा है। मानव संसाधन विकास मंत्री को तुरंत कड़ी कार्यवाही करना चाहिए।”
पृथ्वी सिंह कहते हैं,-“भारत का दुर्भाग्य है और क्या ,
किरन बेदी , अनिता फोगट ,पी टी उषा , साईना नेहवाल जैसी महिलाओं को छोङकर विदेशी महिलाओं को महिमा मंडित किया जा रहा है।” कुल मिलाकर भारतीयों और खासकर के हिंदू धर्म के मानने वाले लोगों में इस चैप्टर को लेकर खासा गुस्सा है।
लोगों ने सावित्रीबाई फुले, दुर्गावती से लेकर रानी लक्ष्मी बाई जैसी तमाम भारतीय नारियों का उदाहरण देते हुए गिनाया है कि आखिर मानव संसाधन विकास मंत्रालय या भाजपा सरकार इन सब को भुलाते हुए मलाला को कैसे पाठ्यक्रम में शामिल कर सकती है! लोगों ने सरकार से मांग की है कि मलाला का चैप्टर हटा करके इसकी जगह भारतीय नारियों के प्रेरक प्रसंगों को जगह दी जानी चाहिए।