रिखणीखाल में अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ी एक ओर प्रसूता
पौड़ी। बीते 2 दिसंबर की रात रिखणीखाल के डियोद गाँव में 24 वर्षीय प्रसूता सुमन देवी पत्नी महेन्द्र सिंह क्षेत्र की लचर चिकित्सा सेवा के कारण काल के मुंह में समा गई, यह क्षेत्र की पहली घटना नही है। आए दिन ऐसी घटना घटित होती रहती हैं। कुछ महीने पूर्व बहुचर्चित बएला गाँव की स्वाति ध्यानी का मामला भी भिन्न नही था। रिखणीखाल का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सिर्फ रैफर सेंट बन के रह गया हैं। डॉ अपने हाथों में जिम्मेदारी लेने से बचते हैं जिस कारण हर मरीज को कोटद्वार का रास्ता नापना पड़ता हैं। हालत यह है कि, क्षेत्र के 90% मरीज हॉस्पिटल नही जा पाते हैं।
कोटद्वार ही जाना पड़ेगा। तो पहले ही कोटद्वार की व्यवस्था पक्की रखते हैं।
2 दिसम्बर के अपराह्न डियोद गाँव की सुमन देवी को बेटी पैदा हुई, सुरक्षित प्रसव घर में कराया गया मगर अधिक रक्त रिसाव के कारण महिला को शाम 5 बजे प्राथमिक चिकित्सालय रिखणीखाल लेजानी की जरूरत आन पड़ी। परिवार जनों ने हॉस्पिटल में फोन कर के डॉ से सलाह लेने की सोची मगर क्षेत्र में नेटवर्क न होने के कारण यह भी सपना ही रहा। गड़ियों पुल में प्राथमिक एलोपैथिक चिकित्सालय अंदर गाँव हॉस्पिटल के फार्मासिस्ट श्री विजय जी के निवास पर परिवारजन आग्रह लेकर पहुचें मगर फार्मासिस्ट विजय पाल जी भी इस मामले से असमर्थता जताने लगे। ततपश्चात सामाजिक कार्यकर्ता देवेश आदमी के लिए परिवारजनों ने फोन किया और मदद की गुहार लगाई देवेश आदमी ने 108 को रात में 8 बार फोन किया मगर 108 ने रिपोर्ट दर्ज नही किया अनेकों बार नेटवर्क (jio, आईडिया,एयरटेल) विफल होने के बाद भी 108 मामले को अपने रजिस्टर में दर्ज नही कर सकी।
रिखणीखाल चिकित्सालय में किसी भी कर्मचारी ने फोन नही उठाया जिस कारण परिवारजनों ने मरीज को कोटद्वार लेजाने का फैसला लिया इसी बीच हॉस्पिटल जाने से पूर्व मरीज ने रास्ते में दम तोड़ दिया। यह स्थिति हैं क्षेत्र की शिक्षा चिकित्सा व संचार सेवा की जिस का खामियाजा आम जनता वर्षों से भुगत रही हैं। उत्तराखंड के सब से पिछड़े ब्लॉक रिखणीखाल में हवाई बातें होती हैं। मगर धरातल पर काम नही होता हैं। जनप्रतिनिधियों के कान में जूं नही रेंगती आम जनता मर रही हैं चिकित्सा की स्थिति बतसेबत्तर होती जा रही हैं। इस का नतीजा हैं कि हर महीने में 1 व्यक्ति दम तोड़ रहा हैं क्षेत्र में पलायन का एक मुख्य कारण चिकित्सा सेवा भी है जिस पर आजतक किसी सरकार ने काम नही किया।
हॉस्पिटल विधायक व ठेकेदारों के कमीशन की भेंट चढ़ गए हैं तो गुणवत्ता की उम्मीद करना वेमनी होगी। रिखणीखाल हॉस्पिटल में दावाई के पैसे डॉ डकार गए तो लोगों ने मरना ही हैं। अपने लोगों को फायदा पहुचाने के लिहाज से जगह जगह सड़कें खोदी जा रही हैं मगर क्षेत्र में परिवहन व्यवस्था चौपट हैं। यदि सड़क बनी है तो गाड़ी भी चलनी चाहिए। टैक्सीयों के भरोसे चल रही रिखणीखाल की परिवहन व्यवस्था सुदृढ कब होगी भगवान जाने। आएदिन हो रही घटनाओं से मुहं फेरे चाटुकारिता के चरम पे क्षेत्र के 81 ग्रामप्रधान 23 क्षेत्र पंचायत व 2 जिला पंचायत मौन धारण किए हैं। क्षेत्र में वर्तमान सरकार के अनेकों पार्टी कार्यक्रम चल रहे हैं जिन में 2022 में जनता को भृमित करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं पर कहीं भी विकास की बातें नही हो रही है कहीं भी समाज उत्थान की बातें नही हो रही हैं।
अब समस्या यह हैं कि बिल्ली के गले में घण्टी कौन बांधेगा..