उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश के ‘कुमाऊं की वादियों’ में पर्यटन स्थलों पर सुप्रसिध्द नौकुचियाताल कमल झील पिछले कुछ सालों से विभागीय अनदेखी का शिकार हो रही है, जबकि कई बार स्थानीय पर्यटन कारोबारियों एवं लोगों ने कमल झील के सौंदर्य व कमल फूल के अस्तित्व को बचाने की मांग की है|
विभागीय अनदेखी के चलते पिछले तीन सालों से झील में कमल के फूल नहीं खिल पा रहे है, पूरी झील वीरान पड़ी हुई है l
नगर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता पूरन चंद्र बृजवासी बताते है कि, पौराणिक कमल झील के अस्तित्व को बचाने के लिए गत वर्ष मुख्यमंत्री सचिव/कुमाऊं आयुक्त राजीव रौतेला जी को तथ्यों के आधार पर ज्ञापन देकर तालाब की दशा सुधारने की मांग उनके द्वारा रखी गयी थी| जिस पर पूर्व कुमाऊं आयुक्त ने प्रमुखता से संज्ञान लेकर जिला पर्यटन अधिकारी को समाधान हेतु प्रेसित की थी|
उसके उपरांत पर्यटन विभाग ने पत्र से अवगत कराया था कि, 2019-20 की योजना में बजट स्वीकृत होने पर झील पर कार्य किया जाएगा| लेकिन कार्य नहीं हुआ, जिसका परिणाम ये है कि, गत वर्ष इतनी बड़ी झील में खिला कमल फूल देखने तक को लोगों को नहीं मिला|
साथ ही बृजवासी ने बताया कि, कई बार उनके द्वारा सिंचाई विभाग, मत्स्य विभाग, मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी, पुष्प विशेषज्ञ पंत नगर यूनिवर्सिटी, कृषि विभाग, क्षेत्रीय प्रतिनिधियों एवं शासन प्रशासन के तमाम प्रतिनिधियों के सामने लिखित व मौखिक तौर पर नौकुचियाताल कमल झील को बचाने की मांग रखी गयी| लेकिन समस्या हल नहीं हुई|
समस्या हल न होने से उन्होंने कमल ताल की दुर्दशा को देख फिर सरकार के समाधान पोर्टल में कमल झील के अस्तित्व को बचाने की मांग की और साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता पूरन बृजवासी ने अपनी शिकायत में कहा है कि, नौकुचियाताल कमल झील देश दुनिया के प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती है|
हर वर्ष जून माह में लाखों पर्यटक झील का दीदार करने पहुंचते है और अपने कैमरों में कैद कमल झील को याद के तौर पर ले जाते है| पर्यटन कारोबारियों व स्थानीय लोगों की शान उत्तराखंड कमल नयन नौकुचियाताल कमल ताल के कमल फूल को बचाने एवं झील के उचित सौंदर्यीकरण की उनके द्वारा शीघ्र मांग की है l