अनुज नेगी
देहरादून। प्रदेश की भाजपा सरकार में साफ छवि रखने वाले मंत्री सतपाल महाराज के पंचायतीराज विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आ रहा है, आरोप है कि भाजपा के कुछ नेताओं व विभाग के भृष्ट अधिकारियों ने अपने चहितों को लाभ पहुंचाने के लिए पंचायतीराज विभाग में आउट सोर्स उपलब्ध कराने हेतु अपनी चहेती कंपनी को ठेका दे दिया।
आपको बता दें कि पंचायती राज विभाग में पहले निविदा के माध्यम से कंपनी का चयन किया जाना था। जिसमें *PEJKS* किच्छा की कंपनी सफल नहीं हो पा रही थी इसलिए पंचायती राज विभाग ने अकारण ही निविदा प्रक्रिया को निरस्त करते हुए रातो रात *GeM पोर्टल* पर चयन प्रक्रिया शुरू कर दी जिस पर 11 फर्मों द्वारा प्रतिभा किया गया था। जिसमें से विभाग द्वारा बिना किसी कारण बताएं 8 फर्मो को असफल कर दिया गया। सिर्फ तीन फर्मों को सफल किया गया जिसमें से दो फर्मों के तो आवश्यक दस्तावेज भी पूरे ना होने की बात सामने आ रही है ,जिसकी अन्य फर्मों द्वारा शिकायत प्राप्त हुई है कि वह *PEJKS* किच्छा की सपोर्टिंग कंपनियां है। जिनका चयन एक प्रायोजित साजिश के तहत किया गया है व अन्य फर्मों द्वारा निविदा से पहले ही विभाग व विभागीय मंत्री माननीय सतपाल महाराज जी को बता दिया गया था, कि *PEJKS* किच्छा का चयन पंचायती राज विभाग में प्रायोजित असंवैधानिक तरीके से किया जाने वाला है और रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही गई थी। इसके अलावा 10 अक्टूबर 2022 को स्टाम्प पेपर और परफॉर्मेंस सिक्योरिटी बना ली गई थी जबकि कार्य आदेश 13 अक्टूबर 2022 को दिया गया इस सब से स्पष्ट होता है कि यह प्रायोजित असंवैधानिक तरीके से किया गया है साथ ही कुछ फर्मों द्वारा इस संपूर्ण घटना की निविदा के पश्चात शिकायत महामहिम राज्यपाल महोदय, माननीय मंत्री सतपाल महाराज एवं मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन को भी की गई थी परंतु बताया जा रहा है कि बावजूद इसके दबंग अधिकारियों एवं भाजपा नेताओं द्वारा इस संपूर्ण घटना को नहीं रोका गया। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या राज्य में अधिकारी व बीजेपी नेता इतने निर्भीक हो चुके हैं। अपनी मन मनी से कुछ भी कर सकते हैं । किसी भी शासनादेश या फिर नियमों की इन्हें कोई परवाह नहीं।
आपको यह भी बता दें कि इस कंपनी द्वारा रातों-रात सारे कार्मिकों की भर्ती कर दी गई है। जिसमे अधिकांश भाजपा के चहितों के नजदीकों को चयन किया गया है।
अब देखना यह है कि विभाग के मंत्री सतपाल महाराज इस संपूर्ण घटना पर क्या निर्णय लेंगे। वहीं अन्य असंवैधानिक तरीके से असफल किये गये फर्मों द्वारा पर्वतजन को इसकी सूचना दी गई है साथ ही फर्म मालिकों द्वारा स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि इस निविदा की जांच होनी अति आवश्यक है अuन्यथा की स्थिति में उत्तराखंड राज्य में निष्पक्ष काम करना असंभव हो जाएगा।
पर्वतजन की खबर का संज्ञान लेने के बाद पंचायती राज संयुक्त निदेशक राजीव नाथ त्रिपाठी ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी की हेल्पलाइन पर जो शिकायत का पोर्टल है उस पर और पर्वतजन का वेब पोर्टल पर जो न्यूज़ चल रही है उसके बारे में मुझे खंडन निकालना था।
उन्होंने कहा कि पंचायती राज विभाग में भारत सरकार के कार्यक्रम rgsa के तहत जो मेन पावर डिप्लोए करना था उसके लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी हायर करने के लिए हम लोगों ने पहले uktenders.go.in पर टेंडर किया था।
किंतु बाद में उत्तराखंड सरकार का एक शासनादेश आया, जिसके तहत यह कहा गया था कि Gem पोर्टल के माध्यम से हो तो हम लोगों ने उसे Gem पोर्टल के माध्यम से किया ।
उसमें प्रॉपर तरीके से प्रीबिड की व्यवस्था की गई और टेंडर के बाद हमने उसमें रिवर्स ऑप्शन की व्यवस्था भी की, इसमें आपको अवगत कराना है कि इसमें जो भी 11 आउटसोर्सिंग एजेंसी आई थी उनमें से टेक्निकल में 8 बाहर हो गई केवल 3 रह गई, जिनका फाइनेंसियल बिट खुला और उसमें जिसका चयन हुआ, उनका मिनिमम सर्विस चार्ज 3.52 था l
उन्होंने आगे कहा कि हम लोगों ने इसमें पूरी तरह से ट्रांसपेरेंसी अपनाई थी और प्रदेश के बहुत सारे विभागों में 5% से 6% तक सर्विस चार्ज पर लोग काम करते हैं लेकिन हम लोगों ने रिवर्स ऑप्शन की व्यवस्था की थी इसलिए वह 3.52 पर चयनित हुआ है इसमें बिल्कुल पूर्ण पारदर्शिता रखी गई।