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खुलासा : दूसरे की मेहनत की वाहवाही लूटना इनसे सीखिए

June 15, 2020
in पर्वतजन
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कृष्णा बिष्ट 

9 मई 2020 को मुख्यमंत्री के ट्विटर हैण्डल से पंचाचूली की सुंदर पहाड़ियों के साथ ट्यूलिप के फूलों की कुछ तस्वीरें अपलोड की गई, जिस में मुख्यमंत्री द्वारा खुशी ज़ाहिर करते हुए यह दावा भी किया गया है कि ये तस्वीरें मुनश्यारी स्थित ट्यूलिप गार्डन की हैं जो कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम पाइलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह विश्व का सब से बड़ा ट्यूलिप गार्डन होगा और मुनश्यारी में टूरिज्म बढ़ाने के लिये वरदान साबित होने वाला है।

 

 

 

 दावों पर उठे सवाल
लेकिन शाम होते –होते मुख्यमंत्री के इन दावों पर तमाम सवाल उठने शुरू हो गये जब नागेन्द्र शर्मा व रोहणी सिंह जैसे देश के बड़े और जाने माने पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के ट्विट के दावों की हवा निकाल दी और बताया कि इस ट्यूलिप प्रोजेक्ट के पीछे सोच, परिश्रम व परिकल्पना किसी और की है यानि माल किसी का और लेबल किसी दूसरे का ! वरिष्ठ पत्रकार नागेन्द्र शर्मा ने मुख्यमंत्री की ट्विट को री-ट्विट करते हुए लिखा कि इस पूरे प्रोजेक्ट की सफलता के पीछे वन विभाग अनुसन्धान केंद्र के डायरेक्टर संजीव चतुर्वेदी की सोच व परिकल्पना है।

काम आईएफएस चतुर्वेदी का नाम साहब का
जब हम ने इस की पड़ताल शरू की तो डबल इंजन की पूरी मशीनरी की कलई खुल कर सामने आ गई – किस तरह प्रदेश के मुखिया अपनी वाह-वाही बटोरने के चक्कर में दूसरों के द्वारा किये गये कामों को हथियाने में ज़रा भी संकोच नहीं करते हैं।
इस के लिये पूरा सरकारी तंत्र स्क्रिप्ट गढ़ने में जी जान लगा देता है !

ऐसे हुई थी ट्यूलिप की शुरुआत

2018 से वन विभाग अनुसन्धान केंद्र ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद ट्यूलिप पौधों का उत्तराखंड के वातावरण में परीक्षण करना शरू किया था। इस के लिये हालैंड से उन्नत प्रजाति के बीजों को मंगवा कर प्रदेश के दो बिलकुल भिन्न वातावरण हल्द्वानी और मुनश्यारी मे इन के 250 -250 पौधों लगाये गये। जिस का उद्देश्य ट्यूलिप पुष्पों की खेती में, प्रदेश के वातावरण की अनुकूलता, आवश्यकता व सावधानियों को बारीकी से अध्ययन करना था। ताकि भविष्य में ट्यूलिप खेती भी कहीं – विदेशी प्रजातियों जैसे लेंटाना, जल-कुंभी, यूकिलिप्टस, कांग्रेस घास आदि की तरह भारतीय वातावरण के लिये नासूर न साबित हो जाये !
इस वर्ष ट्यूलिप फूलों से वन अनुसन्धान विभाग की मुनश्यारी के पाताल तौड स्थित नर्सरी गुलज़ार हुई तो 7 मई को अनुसन्धान शाखा के एक रिसर्चर योगेश त्रिपाठी ने ट्यूलिप फूलों की कुछ शानदार फोटोग्राफ अपने कैमरे में कैद कर सार्वजनिक किये।

एनएनआई ने कराया परिचय
उसी दिन शाम को समाचार ऐजेंसी ANI ने उन खूबसूरत ट्यूलिप फोटो को अपने ट्विटर अकाउंट से खबर के रुप में विश्व विख्यात कर दिया। इस ट्विट में वन अनुसन्धान शाखा, के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी की सराहना करते हुए साफ-साफ लिखा था की उत्तराखंड वन अनुसन्धान शाखा द्वारा ट्यूलिप फूलों का मुनश्यारी मे सफल परिक्षण किया गया है।

ऐसे पूरी दुनिया मे फैली चर्चा

दूसरे दिन 8 मई को योगेश त्रिपाठी ने फिर से एक बार पंचाचूली के मनमोहक दृश्यों के साथ ट्यूलिप फूलों की कुछ और शानदार फोटोग्राफ जारी किए , जिन्हें वाईरल होने मे अधिक समय नहीं लगा।

फिर “मुम्बई मिरर” की वरिष्ठ पत्रकार केतकी आंगरे की नज़र इन मनमोहक तस्वीरों पर पड़ी और उसी दिन 8 मई को “मुम्बई मिरर” ने इन तस्वीरों को भव्यता से प्रकाशित किया और यह खबर देश के कई जानी-मानी हस्तियों को भी टेग की गई। इस के बाद हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण ने भी इन फोटो को अपने देहरादून संस्करण में स्थान दिया था, तब कहीं जाकर सरकार की नींद टूटी और इस पूरे प्रोजेक्ट को हाईजेक करने की कवायद शुरू हो गई ! अब जुगत लगायी गई कि किस तरह इस पूरे काम का श्रेय मुख्यमंत्री जी को मिले । जबकि वन मंत्री हरक सिंह रावत हैं , संयोग वश वन अनुसन्धान विभाग, मुनश्यारी की नर्सरी के पास वन विभाग के मुख्य शाखा की भी नर्सरी मौजूद है जहाँ कम गुणवत्ता की प्रजाति के ट्यूलिप फूल खिले मिल गये । अब जनता के बीच एक भ्रम की स्थिति बनायी गई – पूरी कहानी को मुख्यमंत्री के पक्ष में मोड़ दिया गया। यदि कल विवाद हुआ भी तो मुकरना आसान होगा — क्योंकि दोनों ही फोटो लगभग एक जैसी हैं और दोनों का स्थान भी एक ही है।

और ऐसे फिरा पानी
9 मई को मुख्यमंत्री के ट्विटर हैण्डल पर कुछ तस्वीरों के साथ मुनश्यारी स्थित ट्यूलिप गार्डन को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम पाइलट प्रोजेक्ट बताकर बड़ी शान से एक ट्विट अपलोड किया गया।

किन्तु यहाँ भी मुख्यमंत्री के कारिन्दों की मेहनत पर पानी फिर गया – जब मुख्यमंत्री के ट्विट के कुछ ही घंटों बाद देश की IFS Association ने मुख्यमंत्री के ट्विट को री- ट्विटर कर इस पूरे प्रोजेक्ट का श्रेय मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी को दे दिया, उन की इस सफलता के लिये पूरी सराहना भी की गयी।
अब चाहे मुख्यमंत्री के लिए यह स्क्रिप्ट जिसने भी गढ़ी हो लेकिन उसने प्रदेश के मुखिया की जगहंसाई तो करवा ही दी है !


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