पत्नी को पीटता है रिटायर आईपीएस। पुलिस ने किया अनसुना, महिला आयोग ने लिया संज्ञान
देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून में एक 1974 बैच के रिटायर आईपीएस अधिकारी के खिलाफ उनकी सीनियर सिटीजन पत्नी ने मारपीट का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक सहित देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और महिला आयोग में शिकायत की है। आईपीएस की पत्नी का कहना है कि, उसके पति रिटायर्ड आईपीएस है। इसलिए पुलिस उनकी शिकायत का कोई संज्ञान नहीं ले रही है और पुलिस को जब भी वह बुलाती है तो वह उनके पति की ही सुनते हैं, उनकी नहीं सुनते तथा महिला से अभद्र व्यवहार भी करते हैं। उन्होंने अभद्र व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाही करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है।बहरहाल महिला आयोग की सचिव कामिनी गुप्ता ने घरेलू हिंसा के मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से कार्यवाही करके 17 जुलाई तक अवगत कराने के लिए कहा है। सीनियर सिटीजन महिला ने पुलिस महानिदेशक को भी पत्र लिखकर विस्तार से बताया है कि, उसके पति पुलिस अधिकारी होने की धौंस देते हैं और उनके साथ बहुत मारपीट करते हैं। महिला ने कहा कि, उनके दो बच्चे हैं, एक बेरोजगार है और एक बैंगलोर में नौकरी करता है। महिला का आरोप है कि, उनके रिटायर आईपीएस पति बच्चों को भी उनसे बात नहीं करने देते और बात करने पर घर से बाहर निकालने की धमकी देते हैं।
महिला ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा कि, जब उन्होंने 16 अप्रैल 2020 को मारपीट की शिकायत पुलिस में करनी चाही तो फिर वह यह देखकर दंग रह गई कि शिकायत के निस्तारण के लिए पहुंची पुलिस ने उनकी एक भी नहीं सुनी और पुलिस अधिकारी के साथ ही बात करके वापस चले गए। इसके बाद से उनके रिटायर आईपीएस पति ने उनका उत्पीड़न और भी तेज कर दिया है। महिला ने पुलिस महानिदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि, उनके पति वर्ष 2000 से उनका लगातार उत्पीड़न कर रहे हैं और उनकी बहुओं के सामने भी उनकी पिटाई करते हैं और उन्हें प्रताड़ित तथा अपमानित करते हैं।
लगातार पिटाई के चलते उनका एक हाथ लगभग सुन हो गया है। महिला ने कहा कि, जब उनका बैंगलोर वाला पुत्र उनकी मदद करना चाहता है तो उसको भी पुलिसिया प्रभाव से कार्यवाही के नाम पर डरा दिया जाता है। रिटायर आईपीएस की पत्नी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी की भी शिकायत करते हुए लिखा है कि, एक बार जब वह कुत्ते के साथ घर के गेट के बाहर थी तो फिर उनके घर का गेट बंद कर दिया गया इस पर उन्होंने पुलिस को फोन करके गेट खुलवाना चाहा तो फिर पुलिस अधिकारी ने उल्टा उनसे ही बेहद बदसलूकी की और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया।
इस मामले मे घरेलू हिंसा के आरोप को लेकर पुलिसिया कार्यवाही पर तो सवाल खड़े हो ही रहे हैं। साथ ही महिला आयोग ने भी इस मामले की सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख दी है। ऐसे में यह एक सोचनीय मामला है कि, इस दौरान घरेलू हिंसा सीनियर सिटीजन महिला के साथ कोई अनहोनी न हो जाए।