धान घोटाले पर मौन सरकार।पीआईएल पर कोर्ट ने मांगा 3 हफ्ते में जवाब

कृष्णा बिष्ट 
उत्तराखंड में धान घोटाले पर सरकार मुंह में दही जमाए बैठी है। यूं तो भाजपा सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस का जुमला जब तब दोहराती रहती है लेकिन हकीकत यह है कि उत्तराखंड में असल घोटालों को लेकर सरकार चुप्पी साध लेती है।
रुद्रपुर की धान मिल से कोटद्वार के स्टेट पूल डिपो में भेजने के बहाने धान में लाखों का घोटाला किया गया था। इस धान घोटाले की शासन स्तर पर एक जांच भी हुई थी, जिसमें अपर सचिव ने अपनी जांच में पाया था कि धान घोटाला वाकई गंभीर है। लेकिन कार्यवाही के नाम पर त्रिवेंद्र सरकार चुप्पी साधे बैठी है।
 बाकायदा आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में यह खुलासा हुआ था कि रुद्रपुर से कोटद्वार धान भेजने के लिए जिन वाहनों के नंबर दर्शाए गए थे, वह नंबर दो पहिया वाहनों के थे। जब सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की तो फिर सहारनपुर निवासी अवनीश जैन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
 याचिकाकर्ता ने धान घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करने की मांग की थी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
 इस मामले की सुनवाई वरिष्ठ जज आरवीके मलिमथ और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ में हुई।
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