RTI खुलासा: प्रदेश की जेलों में क्षमता से डेढ़ गुने अधिक कैदी बंद

  • 3541 के स्थान पर 5521 कैदी, अल्मोड़ा जेल में सबसे ज्यादा क्षमता से अधिक कैदी

काशीपुर। उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। राज्य की 10 सामान्य जेलों में अधिकतम 3541 कैदियों की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में 5521 कैदी बंद हैं, जो कि निर्धारित सीमा से डेढ़ गुना अधिक है। इसके अलावा, सितारगंज की सम्पूर्णानंद शिविर (खुली जेल) में भी 45 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं।

यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ। इस संबंध में उत्तराखंड कारागार मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश की अधिकांश जेलों में क्षमता से अधिक कैदी रखे जा रहे हैं, जिससे जेलों पर भारी दबाव पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा कैदी अल्मोड़ा जेल में

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा जेल में सबसे अधिक क्षमता से अधिक कैदी हैं। 102 कैदियों की क्षमता वाली इस जेल में 291 कैदी बंद हैं, जो स्वीकृत संख्या का 285 प्रतिशत है। इसके अलावा, अन्य जेलों में भी यही स्थिति बनी हुई है—

  1. नैनीताल जेल: 71 की क्षमता, 143 कैदी (201%)

  2. देहरादून जेल: 580 की क्षमता, 1122 कैदी (193%)

  3. हल्द्वानी उपकारागार: 635 की क्षमता, 1188 कैदी (187%)

  4. केन्द्रीय कारागार सितारगंज: 552 की क्षमता, 860 कैदी (156%)

  5. टिहरी जेल: 150 की क्षमता, 198 कैदी (132%)

  6. रुड़की जेल: 244 की क्षमता, 319 कैदी (131%)

  7. हरिद्वार जेल: 888 की क्षमता, 1120 कैदी (126%)

  8. पौड़ी जेल: 150 की क्षमता, 160 कैदी (107%)

केवल दो जेलों में क्षमता से कम कैदी

उत्तराखंड में केवल दो जेलें ऐसी हैं जहां निर्धारित सीमा से कम कैदी बंद हैं। इनमें सितारगंज की सम्पूर्णानंद शिविर (खुली जेल) शामिल है, जिसकी 300 कैदियों की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में केवल 45 कैदी बंद हैं। इसके अलावा, चमोली जिला कारागार में 169 की क्षमता के मुकाबले 120 कैदी बंद हैं।

विचाराधीन कैदियों की संख्या अधिक

प्रदेश की जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या सजायाफ्ता कैदियों से अधिक है। राज्य में कुल 5566 कैदियों में से 3307 (59%) कैदी विचाराधीन हैं, जबकि 2259 (41%) कैदी सजायाफ्ता हैं।

विचाराधीन कैदियों का प्रतिशत कुछ प्रमुख जेलों में इस प्रकार है—

  • अल्मोड़ा जेल: 64% (185 विचाराधीन कैदी)

  • नैनीताल जेल: 81% (116 विचाराधीन कैदी)

  • देहरादून जेल: 68% (763 विचाराधीन कैदी)

  • हल्द्वानी जेल: 82% (971 विचाराधीन कैदी)

  • केन्द्रीय कारागार सितारगंज: 3% (28 विचाराधीन कैदी)

  • टिहरी जेल: 66% (131 विचाराधीन कैदी)

  • रुड़की जेल: 94% (299 विचाराधीन कैदी)

  • हरिद्वार जेल: 56% (625 विचाराधीन कैदी)

  • पौड़ी जेल: 68% (109 विचाराधीन कैदी)

  • चमोली जेल: 67% (80 विचाराधीन कैदी)

जेलों की स्थिति चिंताजनक

उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने से जेल प्रशासन पर भारी दबाव पड़ रहा हैखचाखच भरी जेलें न केवल कैदियों के जीवन स्तर को प्रभावित करती हैं, बल्कि सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी चुनौती बन रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार को जेलों में बुनियादी ढांचे के विस्तार और सुधार के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही, विचाराधीन कैदियों के मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करनी होगी, जिससे जेलों पर बोझ को कम किया जा सके।

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