दिनेशपुर। विशाल सक्सेना
जिला अस्पताल की लापरवाही उस समय उजागर हुई जब अस्पताल में जन्मे नवजात बच्चे को माता पिता 15 किलोमीटर पैदल ही अपने घर लेकर पहुंचे।
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यह नगर व आसपास के इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता पर तरह तरह की बातें कर रहे हैं तो लॉक डाउन के चलते जच्चा व बच्चा तमाम पीड़़ाओं को सहते हुए अपने गांव पहुंचे।
नगर के निकटवर्ती ग्राम ढीमरी ब्लॉक निवासी जगतार सिंह की पत्नी रीना को चार अप्रैल को लॉक डाउन के दौरान प्रसव पीड़ा हुई। लोगों की सूचना पर 108 की मदद से रीना को जिला चिकित्सालय ले जाया गया। रात साढ़े ग्यारह बजे रीना ने पुत्र को जन्म दिया और जिला चिकित्सालय की लापरवाही और संवेदनहीनता उस समय उजागर हुई जब छह अप्रैल को अस्पताल ने जच्चा बच्चा को छुट्टी देकर अपने घर जाने को कहा।
नवजात के पिता जगतार के अनुसार अस्पताल में मौजूद स्टाफ को जब लॉक डाउन का हवाला देते हुए घर पहुंचाने को कहा तो इन्होंने पल्ला झाड़ते हुए खुद ही घर पहुंचने को कहा। जिस पर जगतार अपनी पत्नी रीना व नवजात बच्चे को पैदल पैदल 15 किलोमीटर का सफर तय कर घर पहुंचने को मजबूर हो गए। जो कई घंटे का पैदल रास्ता तय कर घर पहुंचे। अब इसी घटना की क्षेत्र में निंदा हो रही है।
लोगों में स्वास्थ्य विभाग के प्रति खासा रोष है। वहीँ मामले पर जिले की मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ शैलजा भट्ट का कहना है कि मामला उनकी व पीएमएस की संज्ञान में नहीं आया। यदि उनकी संज्ञान में होता तो उन्हें एम्बुलेंस के माध्यम से उनको घर तक पहुंचाया जाता।