कोटद्वार के प्रतीक और शुभम बने सेना में अफसर
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। सिद्धबली मार्ग निवासी प्रतीक सती ने चार साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद माऊ टेली कम्युनिकेशन कॉलेज मध्य प्रदेश पास आउट होकर लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन प्राप्त कर क्षेत्र सहित अपने परिवार का नाम रोशन किया।गौरतलब है कि, कोटद्वार के सिद्धबली मार्ग निवासी प्रतीक सती ने वर्ष 2006 में दून इंटरनेशनल स्कूल देहरादून में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद प्रतीक ने दिल्ली विश्व विद्यालय में फिजिक्स ऑनर्स में प्रवेश लिया। इसी दौरान प्रतीक ने टैक्निकल इंट्री स्कीम-36 (टीईएस) की परीक्षा दी। जिसमें वह पास हो गये।
एसएसबी पास करने के बाद उनका चयन सिंगलन कोर के लिए हो गया। एक वर्ष बिहार के गया में प्रशिक्षण लेने के बाद तीन वर्ष मऊ मध्य प्रदेश स्थित टैलिकम्यूनिकेशन कॉलेज से प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रतीक के पिता आरपी सती शिक्षा विभाग में खण्ड शिक्षा अधिकारी रुड़की में तैनात हैं। मां अलका सती गृहणी है। वहीं उनका बड़ा भाई आलोक सती कम्प्यूटर इंजीनियर है। प्रतीक ने शनिवार को लेफ्टिनेन्ट कमीशन प्राप्त कर अपने माता-पिता सहित क्षेत्र का नाम गौरवांवित किया है।
सेना में कमीशन लेकर किया क्षेत्र नाम गौरान्वित
इसके साथ कोटद्वार के वार्ड नंबर 3 कोटडीढांग के सनेहमल्ली के सैनिक परिवार से संबंधित पूर्व सैनिक हसवंत सिंह बिष्ट के पुत्र शुभम बिष्ट ने शनिवार को देहरादून में आईएमए की ट्रेनिंग पूरी कर पास आउट करने के बाद कोटद्वार सहित सनेह पट्टी के लोगों सहित माता पिता को भी गौरान्वित कर दिया। शुभम बिष्ट की प्रारंभिक शिक्षा कोटडीढांग के ज्ञानोदय विद्यालय से शुरू होने के बाद जूनियर शिक्षा ब्लूमिग वैल पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के बाद शुभम का चयन घोड़ा खाल सैनिक स्कूल नैनीताल में हुआ। जिसके बाद एसएसबी भोपाल से 2019 मे आईएमए मे चयनित हुए।
शुभम बिष्ट के नाना और दादाजी सैनिक परिवार से संबंधित रखते हैं। शुभम बिष्ट के दादा भोपाल सिंह सेना में सूबेदार रह चुके थे, तो नाना भी मोहन सिंह सेना में सूबेदार पद पर रह चुके हैं। शुभम बिष्ट ने बताया कि, उनकी सफलता का राज उनके गुरुजन माता पिता और नाना नानी है। नाना ने हमेशा सेना में कमीशन प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। पिता आनरेरी कैप्टन हसवंत सिंह ने सेना में अधिकारी बनने के लिए गाईडलाइन दी। अपनी सफलता का राज अपने भाई-बहनों, माता-पिता एवं गुरुजनों को देते हैं। तीन भाई बहनों में सबसे बड़े शुभम सेना में शामिल होने के बाद देश की सर्वोच्च सेवा देकर अपना परिवार और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।