उत्तराखंड(अंकित तिवारी)-लोक सेवा आयोग द्वारा दरोगा भर्ती के लिए 10 जून को फिजिकल परीक्षा आयोजित की जा रही है। इस परीक्षा में 5 किलोमीटर की दौड़ शामिल है, जो वर्तमान समय की भीषण गर्मी में अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
इस समय प्रदेश में तापमान चरम पर है और यह न केवल परीक्षार्थियों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
गर्मी के मौसम में इस प्रकार की शारीरिक परीक्षा आयोजित करना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही नहीं है। अत्यधिक गर्मी में धावक हीट स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
अभ्यर्थियों की शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए परीक्षा की तिथि को मौसम के अनुकूल बदलना आवश्यक है। सितंबर माह में मौसम सामान्य होता है और इस प्रकार की शारीरिक परीक्षा के लिए अधिक उपयुक्त होता है।
इसके अतिरिक्त, वर्तमान में प्रदेश में चार धाम यात्रा अपने चरम पर है और पहाड़ों के दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले परीक्षार्थियों को परिवहन की सुविधा भी मिलना मुश्किल हो रही है। दूसरी ओर, उनके रहने के लिए कमरे भी बहुत महंगे मिल रहे हैं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, परीक्षा की तिथि को आगे बढ़ाना परीक्षार्थियों के हित में होगा।
लोक सेवा आयोग द्वारा दरोगा भर्ती के लिए 222 पदों पर विज्ञप्ति निकाली गई है, जिसके लिए एक लाख से अधिक बेरोजगारों ने आवेदन किया है।
यह संख्या दर्शाती है कि कितने अधिक युवा इस अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उनके लिए यह परीक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। इसलिए, इस परीक्षा को सफल और निष्पक्ष रूप से आयोजित करना आयोग की जिम्मेदारी है।
25 मई को पुलिस विभाग ने सभी अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर 10 जून से फिजिकल परीक्षा के लिए आमंत्रित किया है। गढ़वाल मंडल के देहरादून और हरिद्वार, तथा कुमाऊं मंडल के रामनगर को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। इस भीषण गर्मी में फिजिकल परीक्षा आयोजित करना बेरोजगार युवाओं के हित में नहीं है।
बेरोजगार हित में यह आवश्यक है कि परीक्षा की तिथि को बरसात के बाद, सितंबर माह में आयोजित किया जाए। इससे न केवल अभ्यर्थियों को गर्मी से राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें परिवहन और रहने की बेहतर सुविधा भी मिल सकेगी। आयोग और पुलिस विभाग को अभ्यर्थियों के स्वास्थ्य और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
समय की मांग है कि परीक्षाओं को उम्मीदवारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जाए। यह न केवल एक जिम्मेदार और संवेदनशील प्रशासन की पहचान होगी, बल्कि युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।