THDCIHET में नियमित नियुक्तियों पर सरकार की स्वीकारोक्ति: माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना कि विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार व निदेशक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को पूर्व में ही नियमित किया जा चुका है अतः इनकी नियमित नियुक्तियों पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है।
जबकि सरकार की तरफ से प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा ओमप्रकाश व निदेशक THDCIHET ने शपथ के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जवाब दाखिल किया था कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 01/12/2015 को पास किया गया फैसला गलत है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय को स्पष्ट किया कि जब माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही थी तभी निदेशक ने बिना शर्त मांफी मांगी थी व नियमित नियुक्तियां प्रदान की थीं। जिसे स्वीकार करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने निदेशक के विरुद्ध दाखिल चार्जशीट को खारिज कर दिया था व नियमित नियुक्तियों को स्वीकार करते हुए शेष लंबित पड़े हुए मांगों के लिए दूसरी याचिका फाइल करने का आदेश दिया था। परन्तु दूसरी याचिका फाइल करने के बजाय याचिकाकर्ताओं ने अवमानना की विशेष अनुमति याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल कर दी जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार करते हुए संबद्ध पक्षों को नोटिस भेजा था। दिनांक 30/09/2019 को अवमानना की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार व निदेशक की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कि इस दलील को स्वीकार कर लिया कि याचिकाकर्ताओं को नियमित किया जा चुका है तथा ये फैसला भी दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं को कोई ग्रीवांस है तो उसे उचित फोरम पर वैधानिक तरीके से अपनी मांग के साथ रख सकते हैं। अतः यह तो सरकार की ओर से एक प्रकार की धोखा धड़ी साबित हो रही है कि सरकार पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट मे झूठ बोलती है और जब सुनवाई के दौरान मे फजीहत की नौबत आती है तब जाकर मजबूरन रास्ते पर आती है।