डिप्टी रेंजर की संदिग्ध मौत। एक माह बाद भी खुलासा नहीं
पौड़ी के डिप्टी रेंजर की संदिग्ध मौत के एक माह बाद भी पुलिस अभी तक मामले की तह तक नहीं पहुंच पाई है। वहीं मृतक की पत्नी ने अपने पति की हत्या किए जाने की आशंका जाहिर करते हुए इसकी निष्पक्ष जांच करने की मांग की है। ताकि उनके परिवार को विभागीय आर्थिक सहायता मिल सके और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हो सके।
मृतक की पत्नी नीलम जोशी ने पर्वतजन से बताया कि, उन्हें 31 दिसंबर से लगातार परेशान किया जा रहा था, जिसके साक्ष्य पुलिस के पास भी मौजूद हैं। नीलम जोशी ने कहा कि इसके बाद से उनका परिवार सदमे में है और उनकी सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो गई है।
गौरतलब है कि, मौत से कुछ दिन पहले डिप्टी रेंजर उदय कुमार जोशी की भाजपा के कुछ नेताओं से वन भूमि कब्जाने को लेकर कहासुनी हुई थी। सूत्रों के अनुसार इस कहासुनी के बाद सत्ताधारी पार्टी भाजपा से जुड़े पदाधिकारी के छोटे भाई ने रात को डिप्टी रेंजर के सरकारी आवास पर जाकर उससे मारपीट की और उनकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से की थी।
जिस पर प्रभागीय वन अधिकारी पौड़ी गढ़वाल ने उनका डिप्टी रेंजर पद से डिमोशन करके उनको वन दरोगा बनाकर ट्रांसफर कर दिया था। किंतु मामला यहीं पर नहीं रुका। पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार मौत के समय डिप्टी रेंजर के शरीर पर चोट के निशान थे। डिप्टी रेंजर उदय जोशी अपने सरकारी आवास की खिड़की से चद्दर के फंदे से लटके पाए गए थे, जबकि उनके पांव जमीन पर बैठी हुई अवस्था में थे। इससे प्रथम दृष्टया यही लगता है कि, उनकी हत्या करके उनको लटकाया गया है।
लगभग 80 किलोग्राम वजनी उदय कुमार जोशी को यदि आत्महत्या ही करनी होती तो वहां छत के सीलिंग फैन का भी इस्तेमाल कर सकते थे, किंतु खिड़की की फर्श से कुल ऊंचाई 5 फुट 8 इंच है। खिड़की के दूसरे नंबर की ग्रिल से चद्दर के फंदे से लटका हुआ और जमीन को छूता हुआ उनका शरीर कहीं से भी यह नहीं लगता कि उन्होंने आत्महत्या की होगी। बहरहाल इसकी जांच पौड़ी क्राइम ब्रांच कर रही है।
मृतक के परिजनों ने पर्वतजन को एक वीडियो भी उपलब्ध कराया, जिसमें रात के अंधेरे में डिप्टी रेंजर की पिटाई करने की आवाज सुनी जा सकती हैं। मृतक के परिजनों ने कहा कि, जब उदय जोशी की मौत की सूचना दी गई, तब तक उनका पंचनाम करा दिया गया था और उन्हें कहा गया कि, उदय जोशी ने आत्महत्या की है। किंतु मौके पर देखने के बाद उन्होंने जब हत्या की आशंका जाहिर करते हुए इसका मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की तो पुलिस ने उन्हें पूरे दिन भर टहलाया तथा काफी दबाव डालने और सिफारिश लगवाने के बाद ही मुकदमा दर्ज किया गया।
किंतु मुकदमा दर्ज किए जाने के एक माह बाद भी नतीजा शून्य है। प्रभागीय वन अधिकारी केएस रावत ने पर्वतजन से कहा कि, पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और पुलिस ही इस बारे में कुछ कह सकती है।