टिहरी। पलायन रोकने को लेकर प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए तीन साल तक ब्याजमुक्त लोन दिया जाएगा।
जिला सहकारी बैंक टिहरी के अध्यक्ष सुभाष रमोला कहते हैं कि सहकारिता मंत्री धन सिंह के निर्देशों के अनुक्रम में जिला सहकारी बैंक की वीडियो कांफ्रेंस से हुई बैठक में लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए प्रस्ताव पास किया गया है। अब लोगों को छोटे-छोटे कार्यों जैसे सैलून, सब्जी की दुकानें व ब्यूटी पार्लर के लिए भी लोन दिया जाएगा, लेकिन इसका लोगों से कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा।
रमोला बताते हैं कि अपना स्वरोजगार शुरू करने के लिए लोग तीन किस्तों में दिया जाएगा। पहली किस्त दुकान का पांच साल के एग्रीमेंट करने पर, दूसरी किस्त सामान लाने और तीसरी किस्त दुकान या स्वरोजगार शुरू करने पर दिया जाएगा।
सुभाष रमोला खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि वे खुशनसीब हैं कि उनके जनपद से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा रहा है। उनका प्रयास होगा कि वे अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को इस योजना से लाभान्वित करवाएंगे।
जिला सहकारी बैंक टिहरी के अध्यक्ष सुभाष रमोला ने स्वरोजगार से जोडऩे के लिए जनपदवासियों को एक प्रेरक संदेश देने की भी कोशिश की है। आइए उन्हीं के शब्दों में आपको भी रूबरू करवाते हैं:-
आपको विदित ही है कि कोरोना संक्रमण काल की इस अवधि में लॉकडाउन पार्ट 4 चल रहा है। लॉकडाउन शुरू होने से पहले उत्तराखंड मूल के तमाम युवा जो दूसरे महानगरों में छोटे-मोटे काम नौकरी आदि की तलाश में गए थे। उनमें से अधिकतर युवा इन दिनों अपने गांव की ओर लौट चुके हैं। आज वे खुश हैं कि शुद्ध हवा पानी के साथ ऐसी विपरीत परिस्थितियों में वे अपने परिजनों के करीब हैं।
पहाड़ का युवा जो अपने गांव शहर अपने राज्य से नौकरी और काम धंधे की तलाश में दूसरे महानगरों में जाकर काम करता है, क्या आपने कभी सोचा है कि वह आखिर कितना कमा लेता होगा?
एक मोटे अनुमान के तौर पर कह सकते हंै कि इनमें से अधिकतर युवा प्रतिमाह 10 से 20 हजार रुपए के बीच ही तनख्वाह पाते होंगे।
अब आप सोचिए कि हमारे यहां एक छोटे से कस्बे में एक नाई, एक सब्जी की ठेली लगाने वाला व्यक्ति, एक पंचर की दुकान चलाने वाला व्यक्ति और तमाम ऐसे छोटे-छोटे काम, जो आम आदमी की जरूरतों से सीधे जुड़े हुए हैं, वह कितना कमाते होंगे।
शायद आप सबको यह जानकर हैरानी होगी कि इस छोटे-मोटे से देखने वाले बड़े कारोबार पर अधिक संख्या में दूसरे प्रदेशों के लोगों का कब्जा है। यह लोग सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर इत्यादि स्थानों से आकर हमारे यहां कारोबार करते हैं और सालाना करोड़ों रुपया यहां से कमाकर ले जाते हैं।
एक छोटे से कस्बे की अगर बात करें तो उसमें चार मीट की दुकानें आप को अवश्य मिल जाएंंगी और यह चारों मीट वाले बाहर से आकर यहां कारोबार कर रहे होंगे।
अब मैं आपसे कहना चाहता हूं कि क्या यह सारे काम किसी अपराध की श्रेणी में आते हैं? क्या इन कामों को करने से व्यक्ति का स्तर घट जाता है।
क्यों नहीं हमारे लोग यह सब काम करते हैं। चोरी करना पाप है, किसी की हत्या करना महापाप है, किसी महिला को बुरी नजर से देखना, राह चलती किसी लड़की को छेडऩा इत्यादि काम यदि कोई व्यक्ति करता है तो यह पाप है। ऐसे काम करने वाले व्यक्ति को शर्म आनी चाहिए, लेकिन कोई भी ऐसा काम, जिसमें हम अपनी श्रम शक्ति का प्रयोग कर उससे धन अर्जित करते हैं, कोई पाप नहीं है।
सुभाष रमोला कहते हैं कि इस विषय पर मैं आगे भी विस्तार से आप लोगों के समक्ष अपनी बात रखूंगा, लेकिन एक नजर मेंतक आप समझ चुके होंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूं।
शर्म छोड़ो और इन छोटे-छोटे दिखने वाले बड़े कामों को अपने घर में रहकर करना शुरू करो। जितना आप लोग महीने में बर्तन धोकर, दूसरों के लिए खाना बना कर, उसे सर्व कर, होटलों की चादर बदलकर, लोगों के घरों में झाड़ू पोछा कर, फैक्ट्रियों का सामान ढोकर, लोहा पीट कर कमाते हो, यकीन मानिए आप उससे ज्यादा मेहनत कर अपने घर में ही कमा सकते हो।
अगर इन कामों को करने में शर्म आती है तो घर में चार गाय भी पाल सकते हो, पोल्ट्री फॉर्म खोल सकते हो, बकरी पालन कर सकते हो, तमाम ऐसे दूसरे काम हैं, जिन्हें आप अपने घर पर रहकर कर सकते हो।
चार बेरोजगार युवाओं का समूह इन कार्यों को और भी बेहतर ढंग से कर सकता है। तो इस विषय पर गंभीरता से विचार कीजिए और स्वाभिमान के साथ अपने घर गांव शहर में एक आत्मसम्मान वाली जिंदगी जीने के लिए तैयार हो जाइए।