किसान आंदोलन: उत्तराखंड में पर्यटकों की आवाजाही शून्य। व्यापारियों को आर्थिक नुकसान
रिपोर्ट- कमल जगाती
नैनीताल। दिल्ली के लाल किले और निकटवर्तियों क्षेत्रों में किसान आंदोलन का असर उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में साफ देखा जा सकता है। इन मुख्य पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की आवाजाही लगभग शून्य होते जा रही है। पर्यटन व्यवसाइयों को भारी आर्थिक नुकसान देखने को मिल रहा है। नैनीताल के मुख्य पर्यटक स्थल सूने पड़े हैं।
लंबे समय से कृषि कानून को स्थगित करने की मांग को लेकर जारी किसान आंदोलन का नकारात्मक प्रभाव कुमाऊं के पर्यटक स्थलों में दिख रहा है। नौ माह के लम्बे कोरोना लॉकडाउन और अनलॉक डाउन की प्रक्रिया के बाद जैसे ही पर्यटन पटरी में आने लगा तो किसान आंदोलन शुरू हो गया। नैनीताल, भीमताल, रानीखेत, अल्मोड़ा, बिनसर, मुक्तेश्वर, रामनगर, कौसानी, मुनश्यारी समेत कुमाऊं के अन्य पर्यटक स्थलों में पर्यटक नदारद दिखे।
इन पर्यटक स्थलों के अधिकतर व्यापारियों की आजीविका पर्यटन पर आधारित है। पर्यटकों के लंबे समय तक इन क्षेत्रों में नहीं आने से क्षेत्र सुनसान और लोगों की जेबें खाली पड़ी हैं। नैनीताल के मुख्य पर्यटक स्थल, जहां कुछ समय पहले पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती थी, आज सुनसान पड़े हैं। पर्यटन से जुड़े होटल व्यवसायी कहते हैं कि, पर्यटक बड़ी संख्या में आना चाहते हैं, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार इसके लिए कुछ काम करे।
पिछले दिनों दिल्ली के लालकिला में तथाकथित किसान नेताओं के हंगामे को देखकर आम आदमी घर में दुबकने को मजबूर हो गया। दो दिन निकालकर परिवार के साथ इन हिल स्टेशनों में छुट्टियां मनाने आने वाले लोग अपने घरों में ही फंस गए। पर्यटकों के नहीं आने से यहां के व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है।