यूकेडी के प्रथम विधायक की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि और वृक्षारोपण कार्यक्रम
देहरादून। उक्रांद के प्रथम विधायक स्व० जसवंत सिंह बिष्ट को उनकी 16 वीं पुण्यतिथि पर दल की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि देकर याद किया। बताना जरूरी होगा कि, स्व० श्री जसवंत सिंह बिष्ट एक साधारण परिवार के थे, बचपन उनका गरीबी में बिता। उनका जन्म सन 1929 में रानीखेत तहसील के बिचला चौकोट पट्टी स्याल्दे के तिमली ग्राम में हुआ। स्व० जसवंत सिंह बिष्ट जसवंत दा के नाम से जाने जाते रहे है। एक सादगीपूर्ण जीवन ईमानदारी के लिये आज भी उनकी चर्चा की जाती है।
सन 1944 को ग्वालियर में मजदूर यूनियन में रहते हुए प्रखर समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया के संपर्क में आकर समाजवादी विचार के नेता बने। सन 1955 में स्व० जसवंत सिंह बिष्ट जी अपने ग्राम में वन पंचायत के सरपंच बने, तथा सन 1962 तक कनिष्ठ प्रमुख पद पर रहे। सन 1972 में ब्लॉक प्रमुख पद पर रहते हुए उनकी सादगी और ईमानदारी के कारण जनता के चहेते बने। उधर उत्तराखंड क्रान्ति दल सन 1979 में पृथक उत्तराखंड राज्य बनाने के लिये अपने अस्तित्व में आ चुका था। राज्य की प्रसांगिता को समझते हुये जसवंत दा उत्तराखंड क्रान्ति दल मे शामिल हो गये तथा सन 1980 में रानीखेत विधानसभा से उक्रांद के प्रथम विधायक बनें।
चर्चाओं एवं ऐशोआराम से दूर रहकर विधायक होते हुये भी असाधारण जीवनचर्या में रहते थे। सन 1980 में जब जसवंत दा विधानसभा के चुनाव लड़ रहे थे, आपजन उनके लिये वोट मांगने के लिये एक ही नारा देते रहे कि, “सुकि गलड फटी कोट, जसुका कै दियो वोट” अर्थात सुकडे हुए गाल और फटे कोट वाले जसवंत दा को वोट दें। ये शब्द श्री जसवंत दा के व्यक्तित्व को दर्शाता है। उनकी ईमानदारी की मिसाल और साधारण जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति रहे है। जसवंत दा को कभी भुलाया नही जा सकता है। स्व०श्री जसवंत सिंह बिष्ट दोबारा सन 1989 में विधायक बने। विधायक होते हुये जसवंत दा को जब भी स्याल्दे या अन्य जगह जाना हो तो बस नही मिली तो ट्रक से गंतव्य के लिये चले जाते थे।
आज भी अल्मोड़ा ही नही बल्कि उत्तराखंड का बुद्धिजीवी वर्ग व आमजन जसवंत दा को याद करते है। स्व० जसवंत बिष्ट जी की पुण्यतिधि पर उनकी याद में दल की ओर से उनकी स्मृति में कचहरी परिसर देहरादून शहीद स्मारक में पौधरोपड़ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महानगर अध्यक्ष सुनील ध्यानी ने की।
गोष्ठी में मुख्यत विचार लताफत हुसैन, बहादुर सिंह रावत, राजेन्द्र बिष्ट, उत्तम रावत, शिव प्रसाद सेमवाल, प्रताप कुँवर, राजेश्वरी रावत, किरन रावत, मीनाक्षी घिल्डियाल, ऋषि राणा, नवीन भदूला, पीयूष सक्सेना, राजेंद्रजीत, पंकज रतूड़ी, भगवती डबराल, कमलकांत, आशुतोष भंडारी, सोमेश बुडाकोटी, विनीत सकलानी, राजेन्द्र प्रधान, वीरेश चौधरी आदि थे।