देहरादून। समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत उत्तराखंड के जिलाधिकारियों द्वारा अपने मातहत कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि यदि वे मार्च के अंत तक अपने विवाह का पंजीकरण यूसीसी पोर्टल पर नहीं कराते हैं, तो उनका वेतन रोक दिया जाएगा। इस आदेश का राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कड़ा विरोध किया है और इसे गैरकानूनी बताते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि यूसीसी कानून के तहत विवाह पंजीकरण के लिए छह महीने की अवधि दी गई है, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा 22 फरवरी 2025 को जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहीं भी मार्च के अंत तक पंजीकरण की अनिवार्यता का उल्लेख नहीं किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री की ‘गुड बुक’ में आने के लिए अपने स्तर से यह आदेश जारी कर रहे हैं।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि जिलाधिकारियों के आदेशों में स्पष्टता और एकरूपता का अभाव है। उदाहरण के लिए, चमोली के जिलाधिकारी ने सभी सरकारी कर्मचारियों को विवाह पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है, जबकि अन्य जिलों के जिलाधिकारियों ने सिर्फ 20 मार्च 2010 के बाद विवाह करने वाले दंपतियों को पंजीकरण के लिए कहा है। इससे कर्मचारियों के बीच भ्रम और आक्रोश की स्थिति बनी हुई है।
रीजनल पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि जिलाधिकारियों के इस आदेश पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो सरकार को कर्मचारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। पार्टी ने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वे इस आदेश के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेती है और क्या जिलाधिकारियों के आदेशों को वापस लिया जाता है या नहीं।
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