सब कुछ बंद सीएम का आबकारी विभाग चालू क्यों !! यह खबर 31 मार्च तक का लाॅक डाउन की गंभीरता की पोल खोलती है। यह मंत्रालय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के अधीन है।
राज्य सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। सरकार कथित तौर पर राजस्व की आड़ में शराब के लिये भी कुछ भी करने को तैयार है। लाटरी से लेकर सिंगल ठेका आवेदन अब बचे हुये ठेकों के लिये “पहले आओ पहले पाओ” की नीति को भी लागू कर दिया है। अगली 29 मार्च को इसकी तीथि निर्धारित की गई है। किसी से अब छिपा नही रह गया है कि सरकार के ताकतवर सलाहकार दून से मुंबई तक पकड़ रखने वाले व उनके चहेते चार अफसरों की आबकारी नीति धड़ाम हो गई है।
कई ठेके बंद हुये तो कई ठेकों के लिये आवेदन ही नही मिल सका है। पहले पचास लोगों से अधिक एकत्रित होने पर रोक होने के बावजूद सरकार ने लाटरी करा दी थी
अब लाॅकडाउन में जिलाधिकारी दफ्तरों में बोलियाँ लगेंगी। सब कुछ जानते हुये भी आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने आदेश भी जारी कर दिये हैं।
इसलिये है करनी कथनी मे अंतर
राज्य की डबल इंजिन कथित ईमानदार सरकार ने जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का दिखावा करते हुये दो कैबिनेट बुलाकर तमाम अधिकार करोनो वायरस से निबटने के जिलाधिकारियों को दिये।
आर्थिक रूप से श्रमिकों की मदद से लेकर मेडिकल कालेजों को तैयार करने का दावा किया। लेकिन कल यानि 23 मार्च को ठेका आवंटन संबंधी काम हुआ है। ऐसी सूचना है कि पौड़ी व नैनीताल के जिलाधिकारी ने कल के ठेका आवंटन को कराने से इंकार कर दिया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नही है।
जिलाधिकारी क्यों डर रहे हैं।
राज्य में पूरी तरह फेल हो चुकी आबकारी नीति में अब 29 मार्च को प्रस्तावित पहले आओ पहले पाओ नीति के तहत ठेका आवंटन होने जा रहा है। जिलाधिकारियों को पूरा अधिकारी है कि वो हालात को देख सीधे सीधे इंकार कर इसे बाद में कराने की सिफारिश कर सकते हैं।
यदि इतनी प्यारी है शराब तो खुलवा दो ठेके
राज्य की त्रिवेंद्र सरकार और शराब प्रेम को देख ये कहा जा सकता है कि जिस राज्य में सब कुछ बंद हो चुका है, सिर्फ आबकारी महकमे के ठेके व लाटरी संबंधी काम हो रहे है। फिर सरकार सुबह सात से दस बजे तक जरूरी वस्तुओं की बिक्री के तहत शराब ठेके भी खुलवा दे।