भारतीय जनता पार्टी ने हालांकि अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है और केंद्र को भेजे गए छह नाम के पैनल में से भी अभी तक कोई इशारा नहीं मिला है फिर भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते।
पूरे उपचुनाव की तैयारी को भाजपा ने दो चरणों मे बांट दिया है। पहले चरण प्रत्याशी चयन से पहले की तैयारी का है और दूसरा चरण प्रत्याशी घोषित होने के बाद शुरू किया जाएगा। लेकिन दोनों चरणों की तैयारी समानांतर चल रही है।
केदारनाथ उप चुनाव वाकई सरकार के लिए नाक और साख का सवाल है। इसकी गंभीरता को देखते हुए भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव जीतने के लिए “ट्रिपल एस” फार्मूले के साथ-साथ बूथ की टोलियां और पन्ना प्रमुखों को भी सक्रिय कर दिया है।
“ट्रिपल एस” यानी संघ , सरकार और संगठन तीनों को झोंक दिया गया है। इसके अलावा हर बूथ पर 15 कार्यकर्ताओं की टीम कार्य कर रही है। साथ ही पन्ना प्रमुख अपने पन्ने से संबंधित वोटरों का वोट सुनिश्चित करने के लिए जुटे हुए हैं।
इसके अलावा दूसरे चरण मे चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद तो जनसभाएं करेंगे ही साथ ही कुछ राष्ट्रीय नेताओं के कार्यक्रम भी तय किया जा रहे हैं।
केदारनाथ सीट पर उपचुनाव 20 नवंबर को होना है और सरकार कोई चांस नहीं लेना चाहती।
प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि प्रत्याशी की घोषणा होते ही चुनावी रणनीति के दूसरे चरण पर काम शुरू हो जाएगा।
उनका कहना है कि भाजपा चंपावत मॉडल की तर्ज पर यह चुनाव लड़ेगी।
मंगलोर और बद्रीनाथ सीट पर हार के दाग को भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह धोना चाहती है।
हालांकि उन दोनों सीटों पर पहले भी भाजपा का जन आधार नहीं था। बद्रीनाथ सीट पहले भी भाजपा के पास नहीं थी। कांग्रेस के प्रत्याशी को बद्रीनाथ उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल करके प्रत्याशी बनाकर उपचुनाव में उतारा गया था और मंगलवार सीट पर भी बसपा काबिज होती आई है और इस बार यह सीट कांग्रेस के पास चली गई। भाजपा ने काफी मेहनत की और मात्र 422 वोटो से यह सीट चूक गई।
वहीं केदारनाथ सीट पहले भी भाजपा के पास थी इसलिए अपने किले को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति में काफी बदलाव किया है।
एक-एक बूथ को महत्वपूर्ण मानकर चल रही भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर अपनी ताकत की बढा रही है।
केदारनाथ सीट पर पूर्व विधायक तथा भाजपा नेत्री आशा नौटियाल वर्तमान में प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष है। साथ ही इस सीट पर निर्दलीय लड़ते रहे कुलदीप भी अब भाजपा में हैं। साथ ही केदारनाथ आपदा में बेहतरीन कार्य करने वाले कर्नल अजय कोठियाल भी आम आदमी पार्टी छोड़कर बहुत पहले भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा अजेंद्र अजय बद्रीनाथ केदारनाथ समिति के अध्यक्ष हैं और दिवंगत विधायक शैला रानी रावत की पुत्री भी क्षेत्र में सक्रिय है।
यदि आपस में सभी का समन्वय बनाए रखने में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कामयाब रहे तो इस बार भाजपा मंगलोर और बद्रीनाथ सीटों की हार का गम खुशी में बदल सकती है।