दुखद : दसवीं मे पढने वाली होनहार बच्ची राधिका की संदिग्ध मौत से ग्रामीणों के साथ साथ बकरियां भी गमगीन

नीरज उत्तराखंडी त्यूनी।

ह्रदय विदारक घटना।

सपना जो चूर हो गया—

आंखों का नूर

जो  सदा को दूर हो गया—

राधिका के सपनों की कहानी

उसकी नानी की जुबानी

जी हां कुछ यूं सपना बुना था 10वीं में पढ़ने वाली होनहार नाबालिक छात्रा राधिका ने।

जिस होनहार छात्रा का सपना पुलिस सेवा में जा कर जनता की सेवा व निष्पक्ष न्याय करना था । जिसे पेड़  और पर्यावरण से गहरा लगाव था। जो जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए जोखिम लेकर दौड़ पड़ती थी। जिसे जंगल की आग बुझाने के लिए पुरस्कृत किया गया हो,।जिसे पेड़ भेड़ से प्यार था जो  पढ़ाई में अब्बल होशियार,खेल में निपुण थी । 

आखिर किसने उसकी जिन्दगी के साथ ऐसा खेल खेला कि उसे  जिन्दगी से हाथ धोना पड़ा और उसे हमेशा के लिए असमय अल्प आयु में लम्बी यात्रा पर भेज दिया गया।आखिर उसका कसूर क्या था?

 जिसकी मौत पर बकरियां भी गमगीन हो और बकरियों के बच्चें तक उसकी लाश के ऊपर लेट कर  चिल्ला कर मातम मानाते  प्रत्यक्ष तौर पर घटना स्थल पर मौजूद  लोगों द्वारा देखा गया हो और  कुछ बकरियां घर जा कर उसके साथ घटित घटना उसकी सूचना देती हो। जिसके गम ने बकरियों के मेमनों ने चारा खाना छोड़ दिया हो। 

 विड़म्बना देखिए पुलिस बन कर पीड़ितों के साथ निष्पक्ष  न्याय का सपना संजोने वाली छात्रा राधिका की  नानी  केवला देवी आज नाबालिक बालिका साथ हुई अनहोनी घटना की पुलिस से  निष्पक्ष जांच की गुहार लगा रही है।

बालिका  की मौत पर संवेदनशील मानव का मौन साधना क्या उचित है?और घटना देखकर भी उसके न्याय की लड़ाई से कन्नी काटना कितना सही है?

नाबालिक होनहार छात्रा राधिका की  मौत का रहस्य  बरकरार है। बहरहाल पुलिस जांच में जुटी है।  

पड़ोसी घर पर आग लगती देख तमाशा लगाना कितना उचित है? कहीं  अपराध की  ये आग   बस्ती को खाक न कर दे ?

राधिका की मां रीना के दूसरी शादी करने पर

 राधिका बचपन से ही अपनी नानी के घर रघुवाड़ में रहती थी उसका लालन पालन और शिक्षा दीक्षा उसकी दादी की देखरेख में होती है । वह पढ़ाई के साथ ही बकरियां चराने का काम किया करती थी। राधिका के पिता जगत सिंह मोरी नानई के रहने वाले है। जो राधिका से मिलने कभी कभी आया करते थे। कुछ माह पहले उसके लिए फोन भी खरीद कर दिया था। 

बतातें चलें

 4जून को बकरी चराने के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाती है। एक पेड़ के नीचे मिलता है बालिका का शव, गले में मिलते है गहरे घाव,पेडः पर लटका मिलता है उसका कुर्ता, खुदखुशी कर  मौत को गले लगा कर दिखाने की होती है कोशिश लेकिन घटना  स्थल पर मौजूद परिस्थियां नहीं देती है आत्म हत्या की गवाही।

पुलिस प्रथम दृष्टया बताती है  आत्म हत्या का मामला  परिजन जताते है हत्या की आशंका। मृतक राधिका के पिता जगत सिंह की तहरीर पर जांच शुरू।

बहरहाल परिजन पीएम रिपोर्ट का कर रहे इंतजार पुलिस   जांच में जुटी सुस्त रफ्तार।  निषपक्ष जांच की गुहार।

अब देखना यह होगा कि पुलिस कितनी जल्दी राधिका की मौत के रहस्य से पर्दा उठा कर अपनी  निष्पक्ष कार्य प्रणाली का परिचय देती है या किसी दबाव में  आ कर मामले को हमेशा के लिए दफन कर देती है।

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