बागेश्वर। जनपद बागेश्वर को जल्द ही बाघों के लिए एक रेस्क्यू सेंटर (बाड़ा) मिलने जा रहा है। अब यहां पकड़े गए बाघों और तेंदुओं को अल्मोड़ा भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह फैसला उस समय लिया गया जब कांडा क्षेत्र के माणा-कभड़ा गांव में एक बाघ द्वारा मासूम बच्चे को मार दिए जाने की घटना के बाद दर्जा राज्य मंत्री भूपेश उपाध्याय ने प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल से मुलाकात कर इस दिशा में त्वरित कदम उठाने का आग्रह किया।
राज्य मंत्री भूपेश उपाध्याय ने वन मंत्री से मांग की कि जनपद बागेश्वर के उन सभी ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बाघों व तेंदुओं की गतिविधियां लगातार बनी हुई हैं, वहां पिंजरों की संख्या में वृद्धि की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि बागेश्वर में रेस्क्यू सेंटर नहीं होने की वजह से वन विभाग को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पकड़े गए बाघों को फिलहाल अल्मोड़ा ले जाया जाता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है और कई बार बाघों को पकड़ना भी संभव नहीं हो पाता।
उपाध्याय के निवेदन पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने तत्काल वन सचिव को फोन पर निर्देश दिए कि जिन-जिन जनपदों में अभी तक बाघ/तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर नहीं हैं, वहां जल्द से जल्द प्रस्ताव बनाकर निर्माण कार्य शुरू किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने बागेश्वर के प्रभागीय वन अधिकारी को भी आदेशित किया कि जनहानि को रोकने के लिए आबादी वाले क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाए और जालों की संख्या में वृद्धि की जाए, ताकि बाघ और तेंदुओं को समय रहते पकड़ा जा सके।
भूपेश उपाध्याय ने इस त्वरित कार्रवाई के लिए वन मंत्री सुबोध उनियाल का आभार प्रकट किया और कहा कि यह निर्णय जनहित में एक बड़ा कदम साबित होगा। इससे न केवल लोगों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि वन्यजीव प्रबंधन में भी सुधार आएगा।