कोरोना : शिक्षामंत्री और सीएम की हठधर्मिता या झांपूपन। बोर्ड परीक्षा स्थगित नही

जहां एक सारे बोर्ड cbse, icse, इंजीनियरिंग, गढ़वाल विश्वविद्यालय, इंट्रेंस एग्जाम आदि की परीक्षायें कोरोना वायरस के कारण स्थगित कर दी गयी हैं, वहीं उत्तराखण्ड के सबसे बड़े बोर्ड की परीक्षाएं बदस्तूर जारी हैं।

एक ओर प्रधानमंत्री जी देश के नाम सन्देश में जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलने को कह रहे हैं, घर पर रहने को कह रहे हैं, वही दूसरी ओर उत्तराखण्ड बोर्ड को ना ही इस सन्देश से कोई लेना देना है, ना ही छात्रों और शिक्षकों के स्वास्थ्य से कोई लेना देना।

शिक्षकों और छात्रों में इस हठधर्मिता के कारण काफी रोष व्याप्त है। उत्तराखंड बोर्ड ने परीक्षा स्थगित करने के लिए सरकार को अनुरोध भी किया है लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। सरकार की यह संवेदनहीनता प्रदेश की आम जनता के लिए काफी नुकसानदायक हो सकती है।

50 से ज्यादा लोगों को एक स्थान पर इकट्ठा न होने की बात उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कही गयी है, वहीं परीक्षा के समय बड़ी संख्या में बच्चे इकट्ठा होते हैं। क्या यह परेशानी का सबब नही है।

लेकिन उत्तराखण्ड के शिक्षामंत्री सिर्फ विचार विमर्श में ही हैं। उत्तराखण्ड के सभी शिक्षक चाहते हैं कि इस समय परीक्षाओं को स्थगित हो जाना चाहिये जिससे सभी स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें, कुछ अध्यापकों को तो 22 तारीख को रामनगर में होने वाली मीटिंग में भी प्रतिभाग करना है, लेकिन 22 को ही प्रधानमंत्री ने कोरोना कर्फ्यू को बोला है। अब उनके सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई अध्यापक दूर दराज के क्षेत्रों में परिवार से दूर ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे समय मे सबका यह मानना है कि इस कोरोना जैसी बीमारी के चलते परिक्षायें स्थगित हो जानी चाहिए, जिससे सब सजग और सुरक्षित रहें। पर उत्तराखण्ड सरकार कब नींद से जागेगी !!

Read Next Article Scroll Down

Related Posts