अनुज नेगी
देहरादून।उत्तराखंड वन विकास निगम के अधिकारी किस प्रकार सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं ये परत दर परत सामने आने लगा है,वन निगम के अधिकारी स्टोन क्रशरों के मालिकों किस तरह से लाभ पहुंचाने में लगे है इसका उदहारण कैचीवाला के स्वारना नदी में देखने को मिलेगा,जहा वन विकास निगम के अधिकारी सरकार को उपखनिज के नाम पर करोड़ा क चूना लगा रहें है।
ताजा मामला विकास नगर के कैचीवाला के स्वारना नदी का है,जहा पर शासन द्वारा पिछले एक अक्टूबर से वन विकास निगम को स्वारना नदी पर उपखनिज चुगान की अनुमति दी गई है।
जिसमे शासन द्वारा वन विकास निगम को “दो लाख सोलह हजार टन” चुगान करने की अनुमति दी गई है। वही वन विकास निगम पिछले पांच माह से कागजों में खेल कर के अभी तक अपने घन मीटर को पूरा नही कर पाया है,वही अभी भी निगम के पास छः हज़ार टन उप खनिज उपलब्ध है।
जबकि निगम द्वारा स्वारना नदी पर क्षमता से अधिक उपखनिज की चोरी की गई जिसमें निगम के छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारियों का बड़ा हाथ है।
आपको बतादे कि कैचीवाला के स्वारना नदी पर इन दिनों सात स्टोन क्रशर चल रहे है जो दिन रात निगम के पट्टे से जमकर उपखनिज की चोरी कर ओवरलोड टेक्टरों से स्टोन क्रशरो तक पहुंचा रहे है। जिमसें साफ साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से निगम के भृष्ट अधिकारी स्टोन क्रशरो के मालिकों को लाभ पहुंचा रहें है।
वही सूत्रों की माने तो इस पूरे प्रकरण में मुख्य भूमिका वन निगम के प्रभागीय लैगिंग प्रबन्धक(खनन) की है।
जिससे सरकार को हर रोज लाखों का नुकसान हो रहा है।वही दूसरी ओर वन निगम के छोटे से बड़े अधिकारी चांदी काट रहे है।
वही सूत्रों की माने तो हर दो माह में इस क्षेत्र के प्रभागीय लैगिंग प्रबन्धक(खनन) ओर छोटे कर्मचारियों का तबादला किया जाता है,ओर जो भी कर्मचारी ओर अधिकारी आते है वो जमकर कर चाँदी काट कर चले जाते है।
वही कल जब क्षेत्रीय वन अधिकारी दीक्षा भट्ट ने नदी का निरीक्षण किया तो वन निगम के अधिकारियों में खलबली मच गई।
वही हमने जब इस मामले में प्रभागीय लैगिंग प्रबन्धक(खनन) रतिराम से बात करनी चाही तो उन्होंने इस मामले में अपने कार्यलय में बुलाया जैसे ही हम उनका पक्ष लेने कार्यलय गए तो अधिकारी सहाब रफूचक्कर हो गए और अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आए।
“नियमों के विपरीत अवैध रूप से खनन किया जा रहा है,ओर बिना काटे के ओवर लोड टेक्टरों को निकाला जा रहा,वन विकास निगम पर उचित कार्यवाही की जायेगी।”
दीक्षा भट्ट क्षेत्रीय वन अधिकारी