एक्शन: घोटालेबाज़ इंजीनियर की नौकरी खत्म,निलंबन नहीं सीधा बर्खास्त। पत्नी की फर्म को पहुंचाया 1.47 करोड़ का लाभ

देहरादून/पौड़ी गढ़वाल।
शासन ने भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त रुख अपनाते हुए एक और घपलेबाज इंजीनियर पर बड़ी कार्रवाई की है। उत्तराखंड पेयजल निगम के प्रभारी मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास के निलंबन के कुछ ही दिन बाद अब जिला पंचायत पौड़ी गढ़वाल में तैनात कनिष्ठ अभियंता सुदर्शन सिंह रावत को बर्खास्त कर दिया गया है।

सुदर्शन सिंह रावत पर गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं कि उन्होंने न केवल अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नक्शे पास किए, बल्कि निजी लाभ के लिए नियमों की अनदेखी करते हुए करोड़ों का भुगतान अपनी पत्नी की हिस्सेदारी वाली फर्म को दिलाया।

पत्नी की फर्म को मिला 1.47 करोड़ का लाभ

जांच में यह सामने आया कि कनिष्ठ अभियंता सुदर्शन सिंह रावत ने “मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज” नामक फर्म को 1.47 करोड़ रुपये का भुगतान दिलवाया। इस फर्म में उनकी पत्नी की 25% हिस्सेदारी थी, जिसकी जानकारी उन्होंने विभाग को नहीं दी। यह साफ तौर पर सेवा नियमों का उल्लंघन है।

बिना अधिकार नक्शे पास किए

सचिव पंचायतीराज चंद्रेश कुमार के अनुसार, सुदर्शन सिंह ने प्रभारी अभियंता रहते हुए होटल/भवन के नक्शों को स्वयं ही पास कर दिया, जबकि नियमों के अनुसार यह अधिकार केवल अपर मुख्य अधिकारी को प्राप्त है। यह कार्रवाई उनकी व्यक्तिगत लाभ की मंशा को दर्शाता है।

नियमों की खुलेआम अवहेलना

शासनादेश संख्या-6598-दो/33-2-93-59.जी/93, दिनांक 01.11.1993 के अनुसार जिला परिषद/पंचायत से संबंधित किसी भी कार्य में पदाधिकारियों या उनके परिजनों की भागीदारी निषिद्ध है। उत्तर प्रदेश जिला पंचायत सेवा नियमावली 1970 के अनुसार ‘पत्नी’ परिवार का हिस्सा मानी जाती है। ऐसे में सुदर्शन सिंह रावत का अपनी पत्नी की फर्म को लाभ पहुंचाना नियमों का घोर उल्लंघन है।

21 अक्टूबर 2024 को हो चुका था निलंबन

इन गंभीर आरोपों को देखते हुए उन्हें पहले ही 21 अक्टूबर 2024 को निलंबित कर दिया गया था। विस्तृत जांच में आरोप प्रमाणित पाए गए, जिसके बाद सचिव पंचायतीराज ने यह स्पष्ट किया कि रावत की विभागीय निष्ठा संदेह के घेरे में है। ऐसे व्यक्ति को सेवा में बनाए रखना न तो विभाग हित में है और न ही जनहित में।

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