पौड़ी गढ़वाल — देहरादून नगर निगम में हुए फर्जी सफाई कर्मी घोटाले की तपिश अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अब पौड़ी जिला पंचायत में भी सफाई के नाम पर 75 लाख रुपए का बड़ा खेल सामने आ गया है। इस बार गड़बड़ी का खुलासा किसी रिपोर्ट से नहीं, बल्कि सूचना के अधिकार (RTI) से हुआ है। घोटाले की परतें खुलीं तो सरकारी तंत्र की मिलीभगत और लापरवाही की कहानी भी सामने आ गई।
🔎 घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
आरटीआई कार्यकर्ता करन रावत ने जब पौड़ी जिला पंचायत से सफाई कार्यों को लेकर जानकारी मांगी, तो जवाब सुनकर उनके होश उड़ गए। जिले के 15 विकासखंडों में जनवरी 2023 से सितंबर 2023 तक चलाए गए सफाई कार्यों के नाम पर कुल 75 लाख रुपये की धनराशि एक उपनल सफाई कर्मचारी की पत्नी के खाते में जमा कर दी गई थी।
सबसे बड़ा झटका तब लगा जब सामने आया कि न सिर्फ कर्मचारी की पत्नी, बल्कि उसके तीन परिजनों के नाम पर भी टेंडर स्वीकृत किए गए। न कोई अनुभव, न जीएसटी नंबर, न ठेकेदारी का वैध पंजीकरण, फिर भी उन्हें लाखों का काम सौंपा गया।
💸 कैसे हुआ खेल?
- प्रत्येक ब्लॉक में 2 सफाई कर्मचारी नियुक्त किए गए, यानी कुल 30 लोग
- इन्हें ₹15,000 प्रति माह भुगतान किया गया
- 10 अतिरिक्त सफाईकर्मी जिन्हें VIP ड्यूटी और दुर्गम क्षेत्रों में लगाया गया, उन्हें ₹30,000 प्रतिमाह
- पूरे प्रकरण में सफाईकर्मियों की नियुक्ति केवल कागजों पर हुई
यानी सरकारी फाइलों में सफाई चलती रही, लेकिन जमीन पर सिर्फ भ्रष्टाचार की झाड़ू घुमाई गई।
🧾 कागजों में सफाई, जमीनी हकीकत गड़बड़!
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, जो अब निलंबित हैं, इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। आरोप है कि उन्होंने एक उपनल कर्मचारी की पत्नी को नौकरी का झांसा देकर उसका खाता लिया और सफाई टेंडर उसी के नाम स्वीकृत करवा दिए।
हैरानी की बात ये है कि मामला उजागर होने तक किसी भी स्तर पर कोई क्रॉस वेरिफिकेशन या सत्यापन नहीं किया गया।
🧑⚖️ डीएम ने लिया संज्ञान, जांच के बाद सख्त कार्रवाई के संकेत
जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने इस मामले पर कहा कि, “गढ़वाल कमिश्नर से पत्रावली प्राप्त हो गई है। जांच की जा रही है। जैसे ही रिपोर्ट सामने आएगी, दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
🚨 देहरादून में भी हो चुका है करोड़ों का सफाई घोटाला
सफाई घोटालों की कड़ी यहीं खत्म नहीं होती। इससे पहले देहरादून नगर निगम में भी 2019 से 2023 के बीच 99 फर्जी सफाई कर्मियों के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था। पार्षदों द्वारा पत्नी, रिश्तेदार और पार्टी पदाधिकारियों को सफाई कर्मी बताकर सालों तक वेतन और पीएफ निकाला गया।
⚖️ RTI कार्यकर्ता की मांग – “विजिलेंस जांच हो, एफआईआर दर्ज हो”
आरटीआई कार्यकर्ता करन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ये महज लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित वित्तीय अपराध है। उन्होंने विजिलेंस जांच की मांग करते हुए कहा कि, “दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ये पैसा जनता का है, इसे लूटने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।”