बड़ी खबर: विधानसभा सत्र से पहले उत्तराखंड सरकार के सामने नई चुनौती।जल्द बनाना होगा संसदीय कार्य मंत्री

देहरादून, जुलाई 2025 — उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जारी अटकलों के बीच अब एक अहम आवश्यकता सामने आ गई है। आगामी विधानसभा सत्र को ध्यान में रखते हुए सरकार को संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति करनी ही होगी। यह नियुक्ति इसलिए भी जरूरी हो गई है क्योंकि राज्य में 21 अगस्त 2025 से पहले मानसून सत्र (वर्षा कालीन सत्र) आहूत किया जाना अनिवार्य है।

📌 विधानसभा सत्र की तैयारियों ने बढ़ाई हलचल

विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग की ओर से राज्य सरकार को एक आंतरिक पत्र जारी कर यह स्पष्ट किया गया है कि पंचम विधानसभा का वर्षा सत्र 21 अगस्त से पहले किसी भी समय बुलाया जा सकता है। इस पत्र में सरकार को सुझाव दिया गया है कि सत्र की तैयारियों को समय से पूरा किया जाए, ताकि नियमानुसार कार्यवाही हो सके।

हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि सत्र का आयोजन देहरादून विधानसभा भवन में किया जाएगा या गैरसैंण में। अंतिम निर्णय के बाद विधानसभा सचिवालय को इसकी सूचना दी जाएगी।

🧾 विभागीय तैयारी के निर्देश

पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक विभाग हर दिन मिलने वाली सूचनाओं को संकलित करें और उन पर उत्तर तैयार करने के लिए नोडल अधिकारियों की तैनाती कर दें। यानी राज्य सरकार ने अभी से ही यह संकेत दे दिया है कि इस बार सत्र को लेकर तैयारी बेहद गंभीर और समयबद्ध होगी।


⚠️ संसदीय कार्य मंत्री की कुर्सी खाली

गौरतलब है कि पूर्व में प्रेमचंद अग्रवाल इस विभाग की जिम्मेदारी संभालते थे, लेकिन उनके मंत्री पद से हटने के बाद से यह महत्वपूर्ण विभाग खाली पड़ा है। चूंकि सत्र में सरकार को अपने पक्ष को मजबूती से रखने के लिए संसदीय रणनीति और संचालन की आवश्यकता होगी, ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति जरूरी हो गई है।


🧩 सरकार के पास दो विकल्प

सरकार के सामने अब दो रास्ते हैं:

  1. मंत्रिमंडल विस्तार करते हुए किसी नए विधायक को संसदीय कार्य मंत्री बनाया जाए।
  2. वर्तमान मंत्रियों में से ही किसी को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जाए, ताकि सत्र की प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी की जा सके।

सूत्रों की मानें तो चूंकि सत्र करीब है, इसलिए फौरी तौर पर मौजूदा मंत्रीमंडल से ही किसी वरिष्ठ मंत्री को यह कार्यभार सौंपा जा सकता है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि इसे मंत्रिमंडल विस्तार के लिए एक अवसर के तौर पर भी देखा जा सकता है।


📌 क्या है कानूनी आवश्यकता?

भारत के संविधान के अनुसार, किसी भी विधानसभा में छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसी के चलते उत्तराखंड सरकार को 21 अगस्त 2025 से पहले सत्र बुलाना अनिवार्य हो गया है।

उत्तराखंड सरकार भले ही मंत्रिमंडल विस्तार को टालती रही हो, लेकिन अब संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति से राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस जिम्मेदारी को मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए पूरा करती है या अंतरिम व्यवस्था से ही काम चलाती है।

जो भी हो, इतना तय है कि आगामी विधानसभा सत्र के चलते उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा निर्णय जल्द सामने आ सकता है।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts