हल्द्वानी। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में सेवा न देने वाले राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 118 बॉन्डधारी डॉक्टरों पर अब कानूनी शिकंजा कसने वाला है।
कॉलेज प्रशासन ने इन सभी डॉक्टरों को अंतिम नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जवाब देने का निर्देश दिया है। तय समय में जवाब न मिलने पर संबंधित डॉक्टरों के गृह जनपद के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कानूनी कार्रवाई की मांग की जाएगी। साथ ही, उनसे 20 लाख से लेकर 2.5 करोड़ रुपये तक की राशि वसूली जाएगी।
सरकारी सेवा की शर्त का उल्लंघन
सरकार ने इन डॉक्टरों को रियायती शुल्क पर एमबीबीएस और पीजी कोर्स करवाया था, जिसके तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में सेवा देना अनिवार्य था।
डीजी हेल्थ के माध्यम से सभी डॉक्टरों की तैनाती भी की गई, लेकिन अधिकांश डॉक्टर अपने निर्धारित स्थान पर कार्य करने नहीं पहुंचे और गायब हो गए। यह उनके द्वारा साइन किए गए बॉन्ड की शर्तों का सीधा उल्लंघन है।
28 पीजी और 90 एमबीबीएस डॉक्टर शामिल
इन 118 डॉक्टरों में 28 पोस्टग्रेजुएट (PG) और 90 एमबीबीएस डिग्री धारक हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के अनुसार, पहले भी इन डॉक्टरों को नोटिस भेजा गया था लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
अब अंतिम नोटिस जारी कर स्पष्ट किया गया है कि जवाब न देने पर उनके खिलाफ राजस्व वसूली और अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कानूनी शिकंजा और वसूली की तैयारी
मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि बॉन्ड तोड़ने वाले डॉक्टरों से उनकी पढ़ाई के दौरान मिली रियायती फीस के बदले तय राशि वसूली जाएगी।
यह वसूली 20 लाख रुपये से लेकर 2.5 करोड़ रुपये तक हो सकती है, जो कोर्स और बॉन्ड की अवधि पर निर्भर करेगी।


